काला हिरण है बिश्नोई समाज के लिए गुरु का पुनर्जन्म

काला हिरण बिश्नोई समाज के लिए सिर्फ एक जानवर नहीं है. वह उसे अपने धर्मगुरु जंभेश्वर जी का पुनर्जन्म मानते हैं.

इस विश्वास का कारण है धर्मगुरु की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को जानवर में देखा जाना.

गुरु जंभेश्वर ने सभी जीव-जंतुओं के प्रति दयाभाव और प्रकृति के संरक्षण का उपदेश दिया था. 

बिश्नोई समाज जंभेश्वर जी द्वारा दिए गए 29 नियमों का पालन करता है. इन 29 नियमों में से एक नियम है कि सभी जीवों का सम्मान किया जाए.

बिश्नोई समाज के लिए प्रकृति ही भगवान है. उनके लिए पेड़-पौधे और जानवर भी  भगवान के समान है.

काला हिरण बेहद शांत और निर्मल स्वभाव का होता है. यहीं कारण है कि बिश्नोई समाज इसे जंभेश्वर गुरु के शांत और दयालु स्वभाव से जोड़ता है.

बिश्नोई समाज का यह विश्वास कि काला हिरण गुरु जंभेश्वर का पुनर्जन्म है. यह उनके 29 नियमों का इस जानवर में पाए जाने पर टिका हुआ है.