31 मार्च 1889 को फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित एफिल टावर को जनता के लिए खोला गया था.
2 साल, 2 माह, और 5 दिन में बनकर तैयार हुए इस टावर में 7,300 टन लोहा, 60 टन पेंट, 25 लाख कीलों का इस्तेमाल हुआ था.
300 मीटर लंबे टावर के पहले तल का निर्माण 1 अप्रैल 1888 को पूरा हुआ था.
इस टावर को पेरिस में 1889 में विश्व मेले के केंद्रबिंदु के रूप में डिजाइन किया गया था.
इसका उद्देश्य फ्रांसीसी क्रांति के शताब्दी वर्ष को मनाने और वैश्विक मंच पर फ्रांस की आधुनिक मकैनिकल पॉवर को दिखाना था.
टावर को गुस्तावे एफिल की सिविल इंजीनियरिंग फर्म ने बनाया था.
जब गुस्तावे ने एफिल टावर को डिजाइन किया, तो उन्होंने बड़ी ही चालाकी से वहां अपने के लिए एक अपार्टमेंट भी शामिल कर लिया. अब ये अपार्टमेंट लोगों के घूमने के लिए खुला है.
गुस्तावे ने टोवर की तीसरी मंजिल पर एक मौसम विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की जहां उन्होंने भौतिकी, वायुगतिकी में स्टडी की और एक विंड टनल का निर्माण किया.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब जर्मनी ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया, तो हिटलर ने एफिल टावर को गिराने का आदेश दिया, लेकिन आदेश का कभी पालन नहीं किया गया.
हर सात साल में टावर पर करीब 60 टन पेंट लगाया जाता है. यह न केवल इसे सुंदर बनाकर रखता है, बल्कि यह लोहे को जंग लगने से बचाने में भी मदद करता है.