मॉब लिंचिंग से लेकर यौन हिंसा तक.. ये हुए हैं बड़े बदलाव

आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव किया जा रहा है. सरकार ने संसद में इसको लेकर 3 क्रिमिनल बिल पेश किए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि इसमें कौन से 8 बड़े बदलाव किए गए हैं.

Courtesy: Social Media

CRPC में किसी की शिकायत पर एक्शन का कोई समय निर्धारित नहीं था. लेकिन नए कानून में 3 दिन के भीतर FIR दर्ज करनी होगी.

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मॉब लिंचिंग एक घृणित अपराध है और इस कानून में इसके लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है.

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यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही दर्ज करेगी. पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा.

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नए कानून में एक बड़ा बदलाव ये किया गया है कि झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध की श्रेणी में आएगा.

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छोटे मोटे आपराधिक मामलों में समरी ट्रायल में तेजी लाई जाएगी. 3 साल तक की सजा वाले मामलों में मजिस्ट्रेट समरी ट्रायल कर सकते हैं.

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7 साल से अधिक सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक का इस्तेमाल अनिवार्य होगा. 

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10 साल या उससे अधिक, आजीवन कारावास एवं मृत्युदंड के दोषी प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित किए जा सकेंगे.

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आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी कानून में नहीं थी. नए कानून में सरकार ने राजद्रोह को देशद्रोह में बदल दिया है.

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