इन जानवरों को लग जाती है प्राकृतिक आपदा की भनक

क्या आप जानते हैं कि जानवरों को प्राकृतिक आपदा की भनक पहले ही लग जाती है?

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर जानवर पृथ्वी से आने वाली तरंगों और हलचल को भांप लेते हैं. 

जानवरों में ऐसी इंद्रियां होती हैं जो मनुष्यों की तुलना में अधिक विकसित होती हैं. 

न केवल सुनना, बल्कि वायुमंडलीय दबाव और नमी में परिवर्तन को भी वे आसानी से महसूस  कर सकते हैं. 

फ्लेमिंगो को किसी भी प्राकृतिक आपदा का आभास पहले से हो जाता है. दिसंबर 2004 में श्रीलंकाई और भारतीय समुद्र तटों पर आई सुनामी से पहले ही फ्लेमिंगो उड़ गए थे. 

कुत्तों का नाम भी उन जानवरों में आता है जो आपदा का पता कर लेते हैं. भारत के कुड्डालोर तट पर जो 2004 की सुनामी आई थी उसमें हजारों लोग मारे गए थे. लेकिन इसमें भैंस, बकरी और कुत्ते सकुशल पाए गए थे. 

सुमात्रा में, पर्यटकों को सवारी देने वाले हाथी उनके महावत के अनुसार, भूकंप आने के समय के आसपास चिंघाड़ने लगे. उन्हें उसका आभास हो गया था.

अनगिनत पालतू जानवरों के मालिकों का दावा है कि भूकंप के दौरान जमीन हिलने से पहले उनकी बिल्लियां और कुत्ते अजीब व्यवहार करने लगते हैं. 

कई बार देखा गया है कि भूकंप के आने से पहले अलग-अलग जानवर जैसे चूहे, नेवले, सांप, कनखजूरा और कीड़े निकलकर भागने लगते हैं. 

मधुमक्खियां वातावरण में नमी के परिवर्तन को महसूस कर लेती हैं. मधुमक्खियों की पीठ पर बाल संवेदनशील होते हैं और मौसम के बादलों में इलेक्ट्रोस्टैटिक बिल्डअप से प्रभावित होते हैं.

2004 में, एक सुनामी ने दक्षिण पूर्व एशिया को प्रभावित किया और 200,000 से अधिक लोगों की जान ले ली . लेकिन लगभग कोई जंगली जानवर नहीं मरा था. चमगादड़ और कीड़े अल्ट्रा-साउंड को पहचानते हैं. 

वैज्ञानिकों का कहना है कि सांप भूकंप आने के पांच दिन पहले तक 120 किमी दूर से ही भूकंप को भांप लेते हैं. 

जापान में 9 तीव्रता के भूकंप आने से पहले, गायों ने दूध उत्पादन कम कर दिया था. वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्हें इसका आभास पहले से हो गया था.