तेजपुर शहर असम में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा हुआ है, जो कि अपनी खूबसूरत और पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है.
तेजपुर को खून का शहर बोलने के पीछे पौराणिक कथाओं की मान्यता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में बानासुर नाम के राजा की पुत्री उषा थी, जिनकी एक सहेली चित्रलेखा हुआ करती थी.
चित्रलेखा पेटिंग किया करती थी. मान्यताओं के मुताबिक, एक बार उषा के सपने में एक युवराज दिखा, जिसे उषा ने अपनी सहेली को बताया.
यह सुनने के बाद चित्रलेखा ने उस तस्वीर को पेंटिंग पर उतारना शुरू कर दिया.
हालांकि, जब पेंटिंग बनकर तैयार हुई, तो चित्रलेखा ने उस चेहरे को पहचान लिया और कहा कि वह चेहरा भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का था.
कथाओं के अनुसार, उषा अनिरूद्ध से प्रेम करने लगी. यह बात जब बानासुर को पता लगी, तो उसने अनिरुद्ध को कैद कर लिया.
मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अनिरुद्ध को बचाने के लिए जब भगवान श्रीकृष्ण आए, तो युद्ध में यह जगह खून से भर से गई थी.
ऐसे में इस शहर को खून का शहर कहा जाने लगा.