भारत में ट्रेनों का लेट होना आम बात है. यहां ट्रेन समय पर पहुंच जाए तो लोगों को आश्चर्य होता है.
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आमतौर पर कुछ ट्रेनें दो या तीन घंटे लेट होती ही हैं. भारी बारिश, या सर्दी के दिनों में कई ट्रेनें 24 घंटे से ज्यादा समय तक लेट हो जाती हैं.
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लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कोई ट्रेन 4 साल से ज्यादा समय तक लेट हो.
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आज हम जिस ट्रेन की बात कर रहे हैं वह एक, दो नहीं बल्कि 4 साल बाद अपनी मंजिल तक पहुंची. इसे भारतीय रेलवे इतिहास की सबसे धीमी ट्रेन कहा जाता है.
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नवंबर 2014 में फर्टिलाइजर से भरी एक ट्रेन विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती के लिए रवाना हुई.
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गाड़ी में व्यवसायी रामचन्द्र गुप्ता के 14 लाख रुपये के 1,361 फर्टिलाइजर पैकेट थे.
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रामचन्द्र गुप्ता अपना सामान लेने के लिए उत्तर प्रदेश में इंतजार कर रहे थे. ट्रेन की देरी के बारे में अधिकारियों से पूछताछ करने के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ.
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विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती पहुंचने में लगभग 42 घंटे 13 मिनट का समय लगता है लेकिन इस ट्रेन को 1,400 किमी की दूरी तय करने में तीन साल लग गए.
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तीन साल बाद जब ट्रेन बस्ती पहुंची तो उसमें रखा फर्टिलाइजर खराब हो चुका था. रामचन्द्र गुप्ता ने पैकेट लेने से मना कर दिया.
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यह ट्रेन क्यों लेट हुई इसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है. नवंबर 2014 में रवाना हुई ट्रेन 2018 में अपने डेस्टिनेशन पर पहुंची.
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