((Photo Credit: Pixabay)
भारतीय रेलवे की सभी ट्रेनें रेल मंत्रालय के अंडर आती हैं. इनका संचालन भारत सरकार करती है.
प्रतीकात्मक तस्वीर
लेकिन क्या आपको पता है भारत में एक ऐसा रेलवे सिस्टम भी था जो भारत सरकार के अंडर न होकर निजी तौर पर चल रहा था?
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इसका नाम था शकुंतला रेलवे. इसका इंडियन रेलवे के साथ कई बार जिक्र होता है. ऐसे में जानते हैं इस ट्रैक और इस रेलवे की कहानी.
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शकुंतला रेलवे ब्रिटिश राज के दौरान बनी थी. यह महाराष्ट्र प्रांत के अमरावती और मुर्तिजापुर के बीच 190 किलोमीटर लंबी नैरो गेज रेलवे लाइन है.
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इस ट्रैक पर एक पैसेंजर ट्रेन चलती थी जिसका नाम शकुंतला एक्सप्रेस था. अचलपुर से यवतमाल के बीच चला करती थी.
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190 किलोमीटर के रूट को तय करने में ट्रेन को लगभग 20 घंटे लगते थे. 5 डिब्बों वाली यह ट्रेन करीब 17 छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकती थी.
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शकुंतला रेलवे की शुरुआत 1910 में किलिक-निक्सन नाम के एक प्राइवेट ब्रिटिश फर्म ने की थी. क्योंकि बाकी ट्रेनें ब्रिटिश सरकार चलाती थी.
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कंपनी ने भारत में ब्रिटिश सरकार के साथ एक ज्वाइंट वेंचर शुरू किया और सेंट्रल प्रोविंस रेलवे कंपनी (CPRC) की स्थापना की .
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अंग्रेजों के समय ट्रेन का इस्तेमाल कपास को मुंबई पोर्ट तक ले जाने के लिए होता था. हालांकि आजादी के बाद इसमें इंसानों ने भी सफर किया.
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साल 2020 में भारत सरकार ने पटरियों की प्रणाली बदलने के बाद इस ट्रेन को बंद कर दिया.
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हालांकि शकुंतला रेलवे और शकुंतला एक्सप्रेस भारतीय इतिहास का एक अमिट हिस्सा बन गई है.
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