टाइटैनिक एक ब्रिटिश यात्री जहाज था जो 15 अप्रैल, 1912 को अपनी पहली यात्रा में ही डूब गया था. यह अपने समय के सबसे शानदार और तकनीकी रूप से उन्नत जहाजों में से एक था.
टाइटैनिक का निर्माण उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में जहाज निर्माण कंपनी हारलैंड और वोल्फ ने किया गया था. इस जहाज का निर्माण 1909 में शुरू हुआ और 1912 में पूरा हुआ.
टाइटैनिक उस समय का सबसे बड़ा जहाज था, जिसकी लंबाई लगभग 882 फीट और चौड़ाई 92 फीट थी. इसका टोटल ग्रॉस भार लगभग 46,328 टन था.
जहाज में कुल चार स्मोकस्टैक्स थे, लेकिन उनमें से केवल तीन ही काम कर रहे थे. जहाज को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए सौंदर्य प्रयोजनों के लिए चौथा स्मोकस्टैक जोड़ा गया था.
टाइटैनिक में 3,547 यात्रियों और चालक दल के ठहरने की क्षमता थी. जिनमें शानदार फर्स्ट क्लास सुइट्स से लेकर मामूली सेकेंड और थर्ड क्लास के केबिन तक शामिल थे.
14 अप्रैल, 1912 की रात को टाइटैनिक न्यूफ़ाउंडलैंड के तट से लगभग 400 मील दूर उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराया. टक्कर के कारण जहाज के पतवार में कई छेद हो गए, जिससे जहाज आखिरकार डूब गया.
अपने समय के लिए उन्नत सुरक्षा सुविधाओं, जैसे जलरोधी डिब्बों और लाइफबोट से सुसज्जित होने के बावजूद, टाइटैनिक में सभी यात्रियों और चालक दल को समायोजित करने के लिए पर्याप्त लाइफबोट नहीं थे. परिणामस्वरूप, आपदा में 1,500 से अधिक लोगों की जान चली गई.
टाइटैनिक के डूबने से समुद्री नियमों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए. यह सुनिश्चित करने के लिए नए कानून बनाए गए कि जहाजों पर सभी के लिए पर्याप्त लाइफबोट हों और रेडियो ऑपरेटर लगातार संकट संकेतों की निगरानी करें.
टाइटैनिक के मलबे की खोज 1985 में रॉबर्ट बैलार्ड के नेतृत्व में एक संयुक्त अमेरिकी-फ़्रेंच अभियान चलाकर की गई थी. यह नार्थ अटलांटिक महासागर में लगभग 12,500 फीट की गहराई पर पाया गया था.
1997 में जैम्स कैमरून ने टाइटैनिक पर मूवी बनाकर इसकी यादों को एक बार फिर ताजा कर दिया था. फिल्म में टाइटैनिक के शुरू होने से लेकर इसके डूबने तक की पूरी वास्तविक घटना को चित्रित किया गया था.