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भारत में गायों को माता का दर्जा मिला है. लेकिन अफ्रिका में भी एक ऐसी ट्राइब है, जो गायों के लिए जान देते हैं. ये लोग एके 47 जैसे हथियार लेकर गायों की सुरक्षा करते हैं.
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मुदंरी जनजाति अफ्रीका के सूडान में रहती है. इस जनजाति के लिए गाय के बिना जिंदगी मृत्यु के समान है.
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मुंदरी जनजाति दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से करीब 75 किलोमीटर उत्तर में रहती है. ये जनजाति चरवाहे के तौर पर अपना जीवन जीते हैं.
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मुंदरी जनजाति गायों को मवेशियों का राजा मानते हैं. इनकी गायों की ऊंचाई 7 से 8 फुट तक होती है.
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गाय इस जनजाति के लिए दोस्त जैसी होती है. इससे उनको दवा से लेकर पैसे तक मिलते हैं.
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इस जनजाति के लिए गाय कीमती होती है. अगर भारतीय रुपए की बात करें तो एक गाय करीब 40 हजार के आसपास की होती है.
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मुंदरी जनजाति के लोग गाय को मूत्र से अपना सिर धोते हैं और गाय के गोबर से दांत साफ करते हैं.
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मुंदरी जनजाति के लोग गाय की हत्या को सबसे बड़ा पाप मानते हैं. इस समुदाय में कभी भी गाय की हत्या नहीं होती है.
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इस जनजाति के लोग हथियारों से गाय की रक्षा करते हैं. ये मवेशियों के साथ सोते भी हैं. ये लोग गाय को गर्मी से बचाने के लिए एक विशेष प्रकार का भभूत लगाते हैं.
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जब कोई गाय मर जाती है तो इस समुदाय के लोग फूट-फूटकर रोते हैं और शोक मनाते हैं. कुछ समय के लिए खाना-पीना भी छोड़ देते हैं.
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