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नमक को एक विशेष तरह का रसायन कहा जा सकता है. यह कई प्रकार का होता है. इसमें समुद्री नमक और पहाड़ी नमक प्रमुख है. पहाड़ी नमक को सेंधा नमक कहते हैं, व्रत में इसका खूब प्रयोग होता है.
ज्योतिष में इसको शुक्र और चन्द्रमा से जोड़ते हैं. इसके प्रयोग से शुक्र और चंद्रमा सीधे प्रभावित होते हैं. दैनिक जीवन में इसके प्रयोग में विशेष सावधानी रखनी चाहिए.
नमक को हमेशा कांच के पात्र में रखें. नमक को बर्बाद न करें, जमीन पर न गिराएं. नमक को सीधे किसी व्यक्ति के हाथ में न दें, अन्यथा संबंध बिगड़ सकते हैं.
नमकीन भोजन या नमक उसी व्यक्ति का ग्रहण करें, जिस व्यक्ति के संस्कार अच्छे हों. मजबूरी या दबाव में हर व्यक्ति का नमक ग्रहण नहीं करना चाहिए.
अगर कुंडली में चन्द्र कमजोर हो तो समुद्री नमक का प्रयोग न करें. ऐसी दशा में सेंधा नमक लाभकारी होगा. मंगल कमजोर हो तो समुद्री नमक का प्रयोग लाभकारी होता है.
घर में नमक के पात्र में लौंग डालकर रखें. समृद्धि बनी रहेगी. घर में नमक के पानी का पोछा लगाना भी खूब लाभकारी होता है.
अगर मन अशांत हो तो नमक मिले जल से स्नान करें. नमक का टुकड़ा कमरे के कोने में रख देने से कमरे में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती.
अगर नज़र दोष का चक्कर हो तो सर से नमक वारकर चलते पानी में बहाएं. लम्बे समय से बीमार हों तो सिरहाने कांच के पात्र में नमक रखें. इसे सप्ताह भर में बदल दें, शीघ्र लाभ होगा.
शुक्र समस्या दे रहा हो तो नमक का दान खूब लाभकारी होता है.