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स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हमी हैं, जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है.
स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि उठ, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाए.
जिस प्रकार केवल एक ही बीज पूरे जंगल को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त है. उसी प्रकार एक ही मनुष्य विश्व में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है. ये मनुष्य आप हो सकते हैं.
कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है. यदि कोई पाप है तो वो है, यह कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.
हर बार ऐसा ही होता है पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है. फिर विरोध होता है. अंत में उसे स्वीकार कर लिया जाता है.
जिस समय, जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है.
जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं.
स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि जब भी दिल और दिमाग के बीच टकराव हो तो दिल की सुनो.
खुद से सीखें तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, तुमको सब कुछ खुद से सीखना है. आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है.