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पाकिस्तान में अभी के समय में हिंदुओं का हाल सही नहीं है. उनको कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कहने को तो हिंदू पाकिस्तान में दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है, लेकिन इस समुदाय के लोग बेहद ही खराब हालत में इस देश में जी रहे हैं.
अब सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान जब भारत से 14 अगस्त 1947 को अलग होकर एक दूसरा देश बना था, तब भी पाकिस्तान में हिंदुओं का हाल ऐसा ही था. आइए जानते हैं.
महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता हैं, वैसे ही मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान का कायद-ए-आजम कहा जाता है.
मोहम्मद अली जिन्ना ने 11 अगस्त 1947 को कराची में पाकिस्तान की पहली असेंबली में कहा था कि आपको इस देश में अपने धर्म में इबादत करने से कोई नहीं रोकेगा. आप अपने इबादतगाह जाने के लिए स्वतंत्र हैं.
मोहम्मद अली जिन्ना को किसी भी धर्म के लोगों से कोई परेशानियां नहीं थी. वो हमेशा हर धर्म के लोगों का समर्थन करते थे.
आज का हाल पाकिस्तान में बिल्कुल अलग हो गया है. पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है.
पाकिस्तान में हिंदुओं के मंदिर तोड़े जा रहे हैं. उनको अपने धर्म स्थान पर पूजा करने नहीं दिया जा रहा है.
पाकिस्तान में हिंदुओं के घर भी तोड़े जा रहे हैं. उन्हें अपने ही घर में नहीं रहने दिया जा रहा है. वहां के हिंदुओं को काम से भी निकाल दिया जा रहा है, जिसके कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में पाकिस्तान की 24 करोड़ से ज्यादा की आबादी में धार्मिक अल्पसंख्यकों की संख्या सिर्फ 87 लाख थी. इसमें भी हिंदुओं की कुल आबादी लगभग 53 लाख ही थी.