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रमज़ान का महीना शुरू हो चुका है. इस महीने में दुनियाभर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं और दिनभर भूखे-प्यासे रहते हैं.
यह महीना मुस्लिम समाज के लिए कई मायनों में खास होता है. इस महीने में मुसलमान एक खास तरह की नमाज़ भी पढ़ते हैं.
इस नमाज़ को तरावीह की नमाज़ कहा जाता है. यह रमज़ान में पूरे 30 दिन पढ़ी जाती है. साल के बाकी 11 महीनों में यह नहीं पढ़ी जाती.
रमज़ान में मुस्लिम चैरिटी भी करते हैं. इस महीने नेक कामों का फल और महीनों से ज्यादा मिलता है, इसलिए इस महीने चैरिटी भी ज्यादा होती है.
रमज़ान के महीने में मुसलमानों को 'फितरा' नाम की चैरिटी भी करनी होती है. यह चैरिटी ईद की नमाज़ से पहले-पहले करनी होती है.
रमज़ान में मुस्लिम समाज के कई लोग 'एतेकाफ' भी करते हैं. इसके तहत उन्हें बाकी दुनिया से अलग होना होता है.
एतेकाफ में मुस्लिम रमज़ान के आखिरी 10 दिनों तक दुनिया से अलग होकर बैठते हैं. ऐसा अकसर मस्जिद में किया जाता है.
एतेकाफ में खाना-पीना और सोना भी मस्जिद में ही करना होता है. वे मस्जिद के बाहर नहीं जा सकते.
एतेकाफ सबके लिए लाज़मी नहीं होता. बल्कि एक क्षेत्र से एक आदमी ही एतेकाफ करे तो काफी है.