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दुनियाभर के पैसे और पावर पर काबू करने की जब भी बात आती है तो एक समूह का नाम बार-बार ऊपर आता है-इल्यूमिनाटी.
लेकिन आखिर इस ग्रुप की हकीकत है क्या?
दरअसल 15वीं शताब्दी से लेकर अब तक अलग-अलग समूह खुद को इल्यूमिनाटी बुलाते रहे हैं.
ब्रिटैनिका वेबसाइट के अनुसार, 1422 में रोसिक्रूशियन्स नाम के एक समूह की स्थापना हुई जो पुराने जमाने की तंत्र विद्या का ज्ञान रखता था. इसे इल्यूमिनाटी कहा जाता था.
इसके बाद 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान एक समूह ईश्वर से सीधा बात करने का दावा करता था. यह समूह भी खुद को इल्यूमिनाटी बुलाता था.
इसके बाद 18वीं शताब्दी के अंत में बावेरिया में एडम वाइसहॉप्ट नाम के एक आदमी ने ईसाई धर्म की जगह लेने के लिए एक नया धर्म बनाने का फैसला किया.
ब्रिटैनिका के अनुसार, वाइसहॉप्ट का कहना था कि समाज में ऐसा धर्म होना चाहिए जो तर्क के आधार पर चले.
इतिहास की किताबें बताती हैं कि वाइसहॉप्ट अपने समूह को इल्यूमिनाटी बुलाते थे. उनकी कोशिशों के बलबूते यूरोप में प्रोटेस्टेंट धर्म ने जन्म लिया.
वाइसहॉप्ट का ग्रुुप बिखरने के बाद से इल्यूमिनाटी की कोई खबर नहीं है. लोग दावा करते हैं कि इल्यूमिनाटी आज भी मौजूद है.
लेकिन दुनिया को कंट्रोल करने वाले ऐसे किसी ग्रुप की मौजूदगी का कोई ठोस सबूत नहीं है.
एक आंख वाला इल्यूमिनाटी का पारंपरिक चिह्न भी कई जगह दिख जाता है, लेकिन यह हमें किसी दिशा में नहीं ले जाता.
अगर इल्यूमिनाटी एक सीक्रेट ग्रुप है, तो यह खुद को सीक्रेट रखने में अब तक बहुत सफल रहा है!