फ्रिज का अविष्कार होने से पहले बर्फ एक महंगी चीज होती थी.
अंग्रेजों के आने से पहले भी भारत में बर्फ का इस्तेमाल होता था. मुगल सम्राट बाबर के लिए कश्मीर से हाथियों और घोड़ों पर लादकर राजधानी दिल्ली में बर्फ लाया जाता था.
कश्मीर से दिल्ली बर्फ लाने में मुगल बादशाह को भारी खर्च करना पड़ता था लेकिन ऐशो आराम के आदी मुगल बादशाहों पर इसका असर नहीं पड़ता था.
इसके बाद अग्रेंजों ने भी हाथी-घोड़ों से बर्फ मंगवानी शुरू की. लेकिन बाद में ये तरीका काफी महंगा पड़ने लगा, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया.
जब कश्मीर से बर्फ मंगाना बंद हुआ तो अंग्रेजों ने अमेरिका से बर्फ मंगाना शुरू किया. ये बर्फ भी काफी महंगी होती थी.
1833 में अमेरिकी के बोस्टन से पहली बार बर्फ कलकत्ता पहुंचा था, जिसे देखकर अंग्रेज बहुत खुश हुए थे.
जहाज चार महीने की समुद्री यात्रा कर कोलकत्ता पहुंचा था. जहाज पर अंग्रेजों के लिए 100 टन बर्फ था.
बर्फ को स्टोर करने के लिए बंगाल में बनाए गए आइस हाउस पर 10,500 रुपये की लागत आयी थी.
जो बर्फ समुद्र पार करके कलकत्ता भेजी गई थी, वह न्यू इंग्लैंड की सर्दियों के दौरान मैसाचुसेट्स की जमी हुई नदियों, तालाबों और झरनों से काटी गई थी.