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रमज़ान का महीना ऐसा है जिसमें दुनियाभर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं.
हालांकि कई मुसलमान ऐसे भी होते हैं जिन्हें इस महीने में रोज़ा न रखने की छूट होती है. आइए जानते हैं किन लोगों को मिली होती है यह छूट.
1. बीमार : अगर कोई शख्स बीमार है या उसे बुखार है तो उसे रोज़ा रखने से छूट है.
अगर किसी शख्स को बुखार आने का डर है तो वह रोज़ा रख ले. लेकिन अगर रोज़े के दौरान तबीयत बिगड़ती है तो वह रोज़ा तोड़ सकता है.
2. मुसाफिर : अगर कोई मुसलमान सफर पर है तो उसे भी रोज़ा रखने से छूट है. हालांकि इसके कुछ नियम होते हैं.
सफर कम से कम 50 मील दूर का होना चाहिए. इसके अलावा उस व्यक्ति की मंशा सफर पर तीन दिन से ज्यादा रुकने की नहीं होनी चाहिए.
3. प्रेगनेंट महिला : अगर कोई महिला प्रेगनेंट है या उसने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है तो वह रोज़ा छोड़ सकती है. कई इस्लामिक स्कॉलर यह भी मानते हैं कि इस हालत में रोज़ा रखना गलत है.
इसके अलावा अगर कोई महिला अपने मासिक स्राव के पीरियड से गुज़र रही है तो उसे भी रोज़ा छोड़ने की सलाह दी जाती है.
अगर किसी शख्स की उम्र बहुत ज़्यादा हो गई है और वह रोज़ा रखने की हालत में नहीं है तो वह भी रोज़ा छोड़ सकता है.