सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है. इस पॉलिसी के जरिए सियासी दलों को चंदा मिलता है. ADR की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 से 2024 के बीच सियासी दलों को इससे 16492 करोड़ रुपए का चंदा मिला है.
चलिए आपको बताते हैं कि चुनावी बॉन्ड से किस पार्टी को कितना चंदा मिला? कौन सी पार्टी ने सबसे ज्यादा पैसा कमाया और किस पार्टी को कुछ भी नहीं मिला.
चुनाव आयोग की सौंपी गई पार्टियों की सालाना ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 में बीजेपी को करीब 1294 करोड़ रुपए मिले.
चुनावी बॉन्ड से साल 2022-23 में बीजेपी को कांग्रेस से 7 गुना ज्यादा चंदा मिला. कांग्रेस को सिर्फ 171 करोड़ रुपए की कमाई हुई.
साल 2019 में देश में लोकसभा चुनाव हुए तो उस साल चुनावी बॉन्ड से बीजेपी को 4057 करोड़ रुपए मिले. जिसमें से पार्टी ने 1142 करोड़ रुपए खर्च किए.
साल 2019 में चुनावी बॉन्ड से कांग्रेस को 1167 करोड़ चंदा मिला. जिसमें से पार्टी ने 626 करोड़ रुपए खर्च किए.
पश्चिम बंगाल में साल 2021 में विधानसभा चुनाव हुए. उस साल चुनावी बॉन्ड से तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 528 करोड़ की कमाई हुई थी.
अगर बात समाजवादी पार्टी की हो तो इस पार्टी को साल 2021-22 में चुनावी बॉन्ड से 3.2 करोड़ रुपए मिले थे. लेकिन साल 2022-23 में चुनावी बॉन्ड से पार्टी को कोई चंदा नहीं मिला.
तेलुगु देशम पार्टी को साल 2022-23 में चुनावी बॉन्ड से 34 करोड़ रुपए की कमाई हुई. जो पिछले वित्तीय वर्ष से 10 गुना ज्यादा था.
साल 2021-22 में इलेक्टोरल बॉन्ड से बीजेडी को 152 करोड़, डीएमके को 185 करोड़, बीआरएस को 529 करोड़ रुपए चंदा मिला.
साल 2022-23 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) को 20 हजार रुपए से अधिक का कोई चंदा नहीं मिला.