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बचपन से ही हमारे घर या आस-पास में हमने मुहावरा सुना होगा, लोग कहते हैं कि मगरमच्छ के आंसू मत बहाओ.
लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है? अगर आप नहीं जानते तो चलिए हम आपको बताते हैं.
बता दें कि ये बात बिलकुल सच है कि मगरमच्छ के आंसू झूठे होते हैं.
जहां कोई इंसान या जानवर भावुक होकर रोते हैं. वहीं सिर्फ एक मगरमच्छ या घड़ियाल ही ऐसा जानवर है जो बिना भावनाओं के भी आंसू बहा सकता है.
दरअसल, आंसू टियर डक्ट के माध्यम से बाहर निकलते हैं. जब मगरमच्छ शिकार खाना शुरू करता है तो टियर ग्लैंड में खिंचाव होता है.
टियर ग्लैंड में खिचाव के कारण मगरमच्छ के आंसू निकलने लगते हैं. इन आंसुओं को देखकर लगता है कि वे दुखी हो कर रो रहे हैं.
लेकिन ऐसा नहीं होता. मगरमच्छ के आंसुओं का दुख से कोई लेना-देना नहीं होता.
मगरमच्छ के इन आंसुओं में मिनरल्स और प्रोटीन की भारी मात्रा पाई जाती है जिसे मक्खियां पी जाती है.
यही कारण है कि लोग मगरमच्छ के आंसू को मुहावरे के रूप में इस्तेमाल करते हैं.