मिट्टी के बिस्किट खाने को क्यों मजबूर हैं इस देश के लोग?

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देखने में भले यह किसी आटे के बने हुए बिस्किट की तरह लगे, लेकिन हैती के ये बिस्किट मिट्टी के बने हुए हैं.

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इस दुनिया में कोई मिट्टी से बना खाना भी खा रहा है?

दरअसल हैती ने 1804 में एक स्वतंत्र मुल्क होने का ऐलान किया, लेकिन फ्रांस को यह मंजूर नहीं था. 

सन् 1825 में फ्रांस ने हैती में एक सेना भेजी और कहा कि हैती को आजादी के लिए उसे एक रकम चुकानी होगी. 

हैती ने फ्रांस के बैंकों से 15 करोड़ डॉलर कर्ज लिया, और अगले 100 सालों में करीब 20-30 अरब डॉलर कर्जा चुकाया. 

इस कारण हैती गरीबी में डूब गया और खाने के लिए आयात पर निर्भर रहने लगा. 

अब जब हैती में आयात बहुत कम होता है और देश में खाने के दाम बढ़ जाते हैं, तो लोगों को मजबूरन मिट्टी के बिस्किट खाने पड़ते हैं. 

इसे स्थानीय भाषा में 'बॉन बॉन टे' कहा जाता है. इस मिट्टी में कैल्शियम होने के कारण इसे मजबूरी में एक विकल्प के तौर पर देखा जाता है.

खासकर हैती की गर्भवती महिलाएं और बच्चे जरूरी पोषण के लिए मिट्टी के इन बिस्किटों पर निर्भर रहते हैं.