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हिंदू धर्म में सुहागिन मंगलसूत्र पहनती हैं. इसे 'सुहाग की निशानी' माना जाता है. चलिए आपको बताते हैं कि मंगलसूत्र क्यों पहना जाता है और यह परंपरा कब शुरू हुई.
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मंगलसूत्र पहनने के पीछे कई मान्यताएं हैं. सबसे प्रचलित मान्यता है कि मंगलसूत्र पहनने से सुहाग की रक्षा होती है.
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मंगलसूत्र पहनने से माना जाता है कि महिलाओं के वैवाहिक जीवन में कोई दिक्कत नहीं आती है और जीवन सुखमय होता है.
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मंगलसूत्र में 9 मनके होते हैं, जिनको माता दुर्गा के 9 रूपों का प्रतीक माना जाता है. इसको धारण करने से महिलाएं ऊर्जावान रहती हैं.
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माना जाता है कि मंगलसूत्र धारण करने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है. ज्यादातर मंगलसूत्र सोने या पीले रंग के धागे से बने होते हैं. ये दोनों चीजें गुरु ग्रह से जुड़ी हैं.
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हिंदू मान्यताओं के मुताबिक मंगलसूत्र पहनने की परंपरा शिव-पार्वती के विवाह से शुरू हुई. मान्यता है कि माता पार्वती को किसी भी अनहोनी से बचाने के लिए शिव ने पीले धागे में मोती बांधकर विवाह के समय पहनाया था.
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हिंदू मान्यताओं के मुताबिक मंगलसूत्र में सोना देवी पार्वती का प्रतीक है और काले मोती भगवान शिव के प्रतीक हैं. कुछ इलाकों में मंगलसूत्र के स्वरूप में बदलाव देखने को मिलता है.
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मान्यता है कि जो महिलाएं हमेशा मंगलसूत्र धारण करती हैं, उनको भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. GNTTV.COM इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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