वोटिंग के वक्त चुनावी स्याही इसलिए लगाया जाता है जिससे कोई मतदाता दोबारा वोट न करे.
ये चुनावी स्याही वोटिंग में होने वाली धोखाधड़ी से बचाने का काम करता है.
पिछले 62 सालों से इस स्याही का प्रयोग हर चुनाव के वक्त किया जा रहा है.
भारत में ये स्याही सिर्फ एक कंपनी बनाती है जिसका नाम मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड है.
शुरुआत में केवल लोकसभा और विधानसभा चुनावों के वक्त ही इस स्याही का प्रयोग किया जाता था.
लेकिन बाद में नगर निकाय और सहकारी समितियों के चुनाव में भी इसका प्रयोग होने लगा.
चुनावी स्याही बनाने में सिल्वर नाइट्रेट का प्रयोग होता है. इसलिए एक बार लग जाने पर ये आसानी से नहीं मिटती है.
ये स्याही कम से कम 72 घंटे तक नहीं उंगली से छूटती है. इसके अलावा पानी के संपर्क में आने पर ये काले रंग का होता है और लंबे समय तक रहता है.