रोना एक स्वभाविक प्रतिक्रिया है. हम दुख के समय में या फिर खुश होने पर रोने लगते हैं.
एक महिला सालभर में औसतन 30 से 64 बार रोती है.
वहीं एक पुरुष सालभर में केवल 5 से 7 बार ही रोते हैं.
ऐसा क्यों होता है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रोती हैं.
रिसर्च के मुताबिक, पुरुषों में प्रोलैक्टिन हार्मोन न के बराबर होने के कारण वे कम रोते हैं.
महिलाओं में हार्मोन का उतार-चढ़ाव पुरुषों की तुलना में काफी अधिक होता है. ये भी एक वजह है कि महिलाएं ज्यादा इमोशनल होती हैं.
वैज्ञानिक नजरिये से देखा जाए तो आंसू हमारी आंखों के स्वास्थ्य के लिए काफी जरूरी होते हैं.
अब अगली बार अगर किसी महिला को रोते हुए देखें तो उसे कमजोर न समझें.