(Photo Credit: PTI and AI)
जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो शव को सफेद रंग के कपड़े से ढका जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि सिर्फ सफेद रंग ही क्यों, कोई और रंग का वस्त्र क्यों नहीं तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
शव को सफेद कपड़े से ढकने की प्रथा अलग-अलग धर्मों में देखी जाती है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. हिंदू धर्म में सफेद रंग शांति, पवित्रता और शोक का प्रतीक माना गया है. शास्त्रों में सफेद वस्त्र को व्यक्ति के अंतिम कपड़े में रूप में देखा गया है.
बता दें कि जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो सबसे पहले उसे सफेद वस्त्र में लिपटा जाता है, जो पवित्रता को दर्शाता है. इसके बाद जब अंतिम यात्रा का समय आता है, तब व्यक्ति को सफेद कपड़े में लपेटा जाता है, जिसे शोक के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
सफेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है. जब शव को सफेद कपड़े से ढका जाता है तो यह मृतक के प्रति सम्मान और शांति का संकेत होता है.
सफेद कपड़े का उपयोग अक्सर मृत्यु के समय किया जाता है ताकि सभी शवों को बिना किसी भेदभाव के देखा जा सके. यह एक समानता का प्रतीक हो सकता है कि मृत्यु के बाद सभी इंसान समान होते हैं.
अलग-अलग संस्कृतियों और धर्मों में सफेद रंग का विशेष महत्व होता है. हिंदू धर्म में शव को सफेद कपड़े में लपेटना एक पारंपरिक प्रथा है. इसी तरह बौद्ध धर्म में भी सफेद रंग का विशेष महत्व बताया गया है.
कई धर्मों में शव को सफेद कपड़े से ढकने की प्रथा सदियों पुरानी है और यह परंपरा के रूप में प्रचलित है. यह आदत धार्मिक, सांस्कृतिक या पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार निभाई जाती है.
शास्त्रों में सफेद कपड़े से शव को ढके जाने के पीछे का कारण और भी बताया गया है. सफेद रंग नकारात्मकता को काटता है. जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तब शव के आसपास नकारात्मकता का संचार होने लगता है.
नकारात्मकता न सिर्फ शव को नुकसान पहुंचाती है बल्कि मृतक के घर वालों पर भी हावी होने लगती है. ऐसे में सफेद वस्त्र से शव को ढकने से नकारात्मक ऊर्जा शव को छू नहीं पाती है. इन्हीं कारणों से शव को सफेद कपड़े से ढकने की प्रथा चली आ रही है.