आज जहां देशभक्ति गानों से पूरा देश गूंज रहा है, तो वहीं आसमान में रंग-बिरंगी पतंगे भी उड़ती नजर आने वाली हैं. पतंग उड़ाना स्वतंत्रता दिवस के जश्न की एक पुरानी परंपरा है, जिसे हर साल मनाया जाता है.
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15 अगस्त 1947 में मिली आजादी के बाद हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले के लाहौरी गेट पर पहली बार भारतीय तिरंगा फहराया था.
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स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने का इतिहास तो हम सब लोग जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोच है कि आखिर इस दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है.
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15 अगस्त के दिन पतंग उड़ाना एक उत्तर भारतीय परंपरा है, खासकर दिल्ली, लखनऊ, बरेली और मुरादाबाद में यह ज्यादा देखने को मिलता है.
दरअसल, साल 1927 में देशभर में साइमन कमीशन का विरोध किया जा रहा था और इसके चलते स्वतंत्रता सैनानियों ने "साइमन वापस जाओ" जैसे नारे भी लगाए थे.
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उस दौरान यह प्रदर्शन पूरे देश में इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग पतंगों पर इस नारे को लिखकर उन्हें आसमान में उड़ाने लगे.
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समय के साथ पतंगें स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति और औपनिवेशिक सत्ता का विरोध करने का एक तरीका बन गईं.
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तब से स्वतंत्रता दिवस पर पतंग उड़ाना भारत का एक अभिन्न अंग बन गया, जो आज भी काफी प्रचलित है.
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स्वतंत्रता दिवस के दिन आमतौर पर छतों और छज्जों पर पतंगे उड़ती देखी जाती हैं और लोग पतंग उड़ाकर अपना आभार व्यक्त करते हैं और अपनी स्वतंत्रता और देशभक्ति का जश्न मनाते हैं.