भारत के कई राज्यों में आज भी बेटे की शादी में मां नहीं जाती हैं. आइए जानते हैं कि ये परंपरा कैसे शुरू हुई थी.
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मां के अपने ही बेटे की शादी के फेरे न देखने और शादी में शामिल न होने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हैं.
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कहा जाता है कि पहले मां भी बेटे की शादी में शामिल हुआ करती थीं लेकिन मुगल काल के बाद सब बदल गया.
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दरअसल, कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान चोरी-डकैती का खतरा काफी था.
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ऐसे में घर खाली रहने पर चोरी का खतरा अधिक था. यही वजह है कि महिलाएं घर पर रुककर घर की रखवाली के साथ नई दुल्हन के गृह प्रवेश की तैयारी में जुटी रहती थीं.
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बदलते दौर के साथ अब दूल्हे की मां भी बेटे की शादी में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगी हैं.
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हालांकि, यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में अब भी माएं बेटे की शादी नहीं देखती हैं.
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बेटी की शादी नहीं देखने के पीछे एक और वजह यह भी है कि मां अपनी बहू के स्वागत के लिए घर में रूकती है और यहां पर सारी तैयारियां करती हैं.
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