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क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि शिव मंदिरों में हमेशा शिवलिंग के सामने नंदी जी की प्रतिमा क्यों होती है. आखिर क्यों शिवलिंग के सामने बनाई जाती है नंदी जी की मूर्ति?
दरअसल, लिंगम सर्वशक्तिमान परमात्मा का प्रतीक है, वैसे ही शिवजी के नंदी (बैल) जीव (व्यक्तिगत आत्मा) का प्रतीक हैं.
शिव लिंग के सामने बैठे नंदी इस बात का प्रतीक हैं कि मनुष्य को प्रकृति से विमुख होकर अपना सारा ध्यान केवल ईश्वर की ओर लगाना चाहिए.
चार पैरों पर बैठा बैल स्थिरता का प्रतीक है, जो सत्य (सत्य), धर्म (धार्मिकता), शांति (शांति), प्रेम (प्रेम) का प्रतिनिधित्व करता है.
शिवजी के वाहन नंदी को पुरुषार्थ यानी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतीक माना जाता है.
ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार नंदी भगवान शिव का वाहन है, उसी प्रकार हमारा शरीर हमारी आत्मा का वाहन है. आत्मा ईश्वर का अंश है.
सिर्फ मानव जन्म के माध्यम से ही सर्वोच्च अनुभव प्राप्त किया जा सकता है जिसे हम मुक्ति या आत्मज्ञान कहते हैं और व्यक्तिगत आत्मा अंततः परमात्मा में विलीन हो सकती है.
नंदी का बैठना और हमेशा भगवान को देखना यह दर्शाता है और अर्थ बताता है कि जीवन का उद्देश्य सभी सृष्टि की एकता और दिव्यता के साथ अपनी पहचान का एहसास करना है.
हर चीज़ में ईश्वर को देखें और ईश्वर की हर रचना से प्रेम करें. जीवन का लक्ष्य ईश्वर-प्राप्ति है. परमात्मा बनना ही जीवन का लक्ष्य है. मानव जन्म का उद्देश्य दिव्य चेतना प्राप्त करना है.