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भगवान शिव को सावन का महीना सबसे प्रिय है. इस महीने लोग शिवजी की उपासना करते हैं.
ऐसे में कई चीजों को शिवभक्त नहीं खाते हैं. जैसे प्याज-लहसुन, मांस-मदीरा आदि.
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर इस महीने नॉन वेज क्यों नहीं खाना चाहिए.
स्कंद पुराण में इसका जिक्र है. स्कंद पुराण में लिखा है कि भगवान शिव मद्यपान करने वाले या मांस भक्षण करने वाले से दूर बैठना पसंद करते हैं.
साथ ही रुद्राक्षधारियों को मांस-मछली और सुरापान मना किया गया है.
बता दें भगवान शिव सहज ही प्रसन्न होते हैं. लोग ऐसा करने लिए कांवड़ यात्रा भी करते हैं.
सावन को पवित्रता और शुद्धि का महीना माना जाता है. लोग इस महीने में सात्विक भोजन करते हैं ताकि शरीर और मन की शुद्धि हो सके.
सावन में कई लोग व्रत और उपवास रखते हैं. व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है, जिसमें नॉन वेज शामिल नहीं होता.
सावन मानसून का महीना होता है. इस समय में पानी में बैक्टीरिया और वायरस पनपते हैं. ऐसे में नॉन वेज खाने से फूड पॉइजनिंग और दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
कई परिवारों में पीढ़ियों से सावन में नॉन वेज न खाने की परंपरा है. लोग इस परंपरा का पालन करते हैं और अगली पीढ़ी को भी सिखाते हैं.
कुछ लोग सामाजिक दबाव के कारण भी सावन में नॉन वेज नहीं खाते.