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जब भी हम किसी हाइवे से गुजरते हैं तो अक्सर देखते हैं कि रोड के बीच में डिवाइडर पर ढेर सारे पेड़-पौधे लगे होते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सड़क के बीच डिवाइडर पर पौधे लगाने की क्या वजह है?
आपको बता दें कि इस तरह डिवाइडर पर पेड़-पौधे लगाने के कई कारण हैं. आंखों को राहत देने से लेकर, दुर्घटना रोकने तक में पौधों का योगदान है.
सबसे पहले तो आंखों को राहत देने की बात हो तो, सबसे ज्यादा लाभकारी होता है हरा रंग. इसलिए एक वजह यह भी है कि लंबी दूरी के हाइवे पर आपको हरे-भरे पेड़ दिखते हैं ताकि लोगों की आंखों को आराम पहुंचे.
एक वजह है प्रदूषण को कम करना. हाइवे पर हर दिन हजारों गाड़ियां गुजरती हैं और इनसे निकलने वाले धुएं से प्रदूषण बढ़ता है. लेकिन सड़कों बीच लगे पेड़-पौधे इस प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं.
लोगों का मानना यह भी है कि सड़कें कॉन्क्रीट से बनी होती हैं तो ऐसे में बीच की जगह को जानकर कच्चा थोड़ा जाता है ताकि बारिश की स्थिति में जमीन बारिश का पानी सोख ले और बाढ़ की स्थिति न बने.
सड़क के डिवाइडर्स पर पौधे लगाने का एक महत्वपूर्ण कारण ड्राइवरों और यात्रियों, दोनों के लिए सुरक्षा भी है. सड़क के दोनों तरफ के वाहन विपरीत दिशा में चलते हैं.
ऐसे में, रात के समय ट्रेवल के दौरान, सड़क के एक तरफ वाहनों की रोशनी विपरीत दिशा में ड्राइवरों की आंखों को प्रभावित कर सकती है जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं. इस जोखिम को कम करने के लिए, पौधों को स्ट्रेटजिकली बीच में लगाया जाता है ताकि ये हाई बीम को रोक सकें.
अब सवाल है कि उत्तर भारत में ज्यादातर डिवाइडर्स पर कनेर के पौधे लगाए जाते हैं. इसके पीछे क्या वजह हो सकती है?
दरअसल, कनेर के पौधे में गर्मी को अवशोषित करने की विशेषता होती है और शायद इस कारण, उत्तर भारत और खासकर कुछ गर्मी के मौसम में कनेर को प्राथमिकता दी जाती है.