सूरजमुखी का फूल ठंड के मुकाबले गर्मियों में ज्यादा सक्रिय रहता है. इन फूलों का विकास उन क्षेत्रों में ज्यादा होता है, जहां पर धूप 6 घंटों से ज्यादा निकलती है.
ज्यादा गर्म और तपा देने वाली गर्मी में सूरजमुखी के फूल काफी तेजी से विकसित होते हैं. सुबह सुबह जब सूर्य पूर्व दिशा से उगता है, तो इस फूल के मुंह की दिशा भी पूर्व में होती है.
धीरे-धीरे सूर्य की दिशा के साथ साथ इनकी भी दिशा बदलती रहती है. सूरजमुखी के फूल के हमेशा सूरज की दिशा में ही घूमना भी हमें हैरत में डालता है.
एक शोध के अनुसार सूरजमुखी के फूल की दिशा सूर्य की ओर होने में उसमें इंसानों की तरह बायोलॉजिकल क्लॉक (जैविक घड़ी) का होना बताया गया है.
सूरजमुखी के फूल के सूर्य की दिशा में खिलने लिए एक खास वैज्ञानिक शब्द 'हैलियोट्रॉपिज्म' का प्रयोग किया जाता है.
सूरजमुखी में इसानों की तरह जैविक घड़ी उसके जीन पर असर डालती है. सूरजमुखी के फूल भी इंसानों की तरह रात को आराम की अवस्था में आ जाते हैं.
सूर्य की बढ़ती किरण के साथ-साथ सूरजमुखी की सक्रियता भी बढ़ती जाती है. सूरजमुखी के फूल के तने का विकास भी इसके सूर्य की ओर दिशा के लिए जिम्मेदार होता है.
विकास की प्रक्रिया के साथ ही सूरजमुखी के फूल की दिशा भी प्रभावित होती है और वह सूर्य की दिशा के साथ चलने लगता है.
सूर्य की दिशा के साथ चलने की प्रवृत्ति आमतौर पर सूरजमुखी के नवपल्लवित और युवा फूलों में ही देखी जाती है.
यही वजह है कि हम कई बार देखते हैं कि बहुत से फूल मुरझाई स्थिति में होते हैं और वह सूर्य की दिशा का अनुसरण नहीं कर रहे होते हैं.