हर मंदिर में प्रवेश द्वार पर घंटी लटकी होती है और हर कोई इसे बजाकर ही आगे बढ़ता है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम मंदिर में जाते समय घंटी क्यों बजाते हैं.
बताया जाता है कि इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक तीनों तरह के कारण होते हैं.
ईश्वर को सूचित करने के लिए ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से भगवान को यह संकेत मिलता है कि भक्त उनके दर्शन के लिए आ रहा है. यह एक तरह का आध्यात्मिक "नमस्कार" होता है.
मन को एकाग्र करने के लिए घंटी की आवाज़ स्पष्ट, तेज़ और लंबी होती है, जिससे मन इधर-उधर की बातों से हटकर पूजा पर केंद्रित होता है. यह एक तरह से ध्यान लगाने में मदद करती है.
नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए घंटी की ध्वनि वाइब्रेशन (कंपन) उत्पन्न करती है, जो वातावरण को शुद्ध करती है. माना जाता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
कुछ धार्मिक ग्रंथों में लिखा है- "अग्निनाऽपि पाविता यत्र घंटा नादो भवेत्।" अर्थ: जहां घंटा बजता है, वहां अग्नि से भी ज़्यादा शुद्धि होती है.
पंच तत्वों को जगाने के लिए घंटी की ध्वनि में ऐसा कहा जाता है कि पंच तत्व (धरती, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के कंपन शामिल होते हैं, जो हमारे अंदर की ऊर्जा को जाग्रत करते हैं.