हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व है. यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक है.
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है. उत्तर भारत में कई जगहों पर करवा चौथ के दिन छलनी से पति का चेहरा देखने की परंपरा है.
करवाचौथ पर सुहागिनें छलनी से चांद के दर्शन करती हैं और फिर छलनी से ही पति का चेहरा देखते हैं.
एक पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा को भगवान गणेश ने कलंकित होने का श्राप दिया था.
गणेश दी ने श्राप दिया था कि जो भी चंद्रमा को नग्न आंखों से देखेगा, उसे भी अपमान का दंश झेलना पड़ेगा.
इसी वजह से करवा चौथ के दिन चंद्रमा को सीधा देखने के बजाय छलनी की आड़ से देखा जाता है.
छलनी पर दीया भी रखते हैं, क्योंकि दीया कलंक को काटने का काम करता है.
यह भी मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने पर चांद भी छेदों की संख्या जितनी ही दिखते हैं.
जब उसी छलनी से पति को देखते हैं तो माना जाता है कि पति की आयु भी उतने गुना ही बढ़ जाती है.यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत में चांद को देखने के बाद पति को छलनी से देखा जाता है.