पैरों में क्यों पहनी जाती हैं चांदी की बिछिया और पायल 

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भारतीय संस्कृति में महिलाओं द्वारा चांदी की बिछिया (toe rings) और पायल (anklets) पहनने की परंपरा सिर्फ एक सजावटी श्रृंगार नहीं है.

इसके पीछे कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी छिपे हैं.

चांदी एक अच्छा कंडक्टर (Conductor) होता है, जो शरीर की नकारात्मक ऊर्जा  को बाहर निकालता है और सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखता है. 

चांदी शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को धरती तक पहुंचाती है और इससे ऊर्जा संतुलन बना रहता है.

एक मान्यता यह भी है कि बिछिया आमतौर पर महिलाओं की दूसरी उंगली में पहनी जाती है, जो एक ऐसी नस से जुड़ी होती है जो गर्भाशय (uterus) और हृदय से जुड़ी होती है. 

बिछिया उस नस पर नरम दबाव डालती है, जिससे मासिक धर्म चक्र (menstrual cycle) नियमित रहता है और रिप्रोडक्शन बेहतर होता है.

चांदी की बिछिया और पायल पहनने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे हार्मोन संतुलन बना रहता है.

पायल और बिछिया पहनने से पैरों के कुछ मुख्य बिंदुओं (acupressure points) पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे थकान, तनाव और रक्तचाप जैसी समस्याओं से राहत मिलती है.