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अंतरिक्ष में रोना संभव नहीं क्योंकि वहां शून्य गुरुत्वाकर्षण (Zero Gravity) होता है.
पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के कारण आंसू हमारी आंखों से बहकर नीचे गिरते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा नहीं होता.
अंतरिक्ष में आंसू बहने के बजाय आंखों में ही इकट्ठा हो जाते हैं और एक गुब्बारे जैसी बूंद बना लेते हैं.
एस्ट्रोनॉट्स के अनुसार, जब वे अंतरिक्ष में रोते हैं, तो आंसू उनकी आंखों के चारों ओर तैरने लगते हैं.
बिना गुरुत्वाकर्षण के आंसू बाहर नहीं गिरते, जिससे आंखों में जलन और असहजता हो सकती है.
अंतरिक्ष यात्रियों को आंखों को पोंछने के लिए टिशू या अपने हाथ का इस्तेमाल करना पड़ता है.
पानी के सतही तनाव (Surface Tension) के कारण आंसू आंखों पर चिपक सकते हैं.
नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि अंतरिक्ष में रोने से आंखों में धुंधलापन आ सकता है.
सलिए, अंतरिक्ष यात्री भावनात्मक होने के बावजूद, खुलकर रो नहीं सकते क्योंकि उनके आंसू गिरते नहीं हैं!
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