By: GNT Digital
हर साल 8 मार्च को दुनियाभर में 'महिला दिवस' मनाया जाता है.
यह दिन स्त्री के अस्तित्व और स्वाभिमान को समर्पित है और इस दिन को सभी महिलाओं को एक साथ आकर सेलिब्रेट करना चाहिए.
आज हम आपको बता रहे हैं स्त्रियों पर मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के कुछ विचार, जिन्हें पढ़कर महिलाएं हर दिन खुद को सशक्त महसूस करेंगी.
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“जब कोई पुरुष महिलाओं की शक्ति को नकराता है, तो वह अपने ही अवचेतन को नकार रहा होता है.”
- अमृता प्रीतम
“ऐसी कई कहानियां हैं जो कागजों में नहीं हैं, बल्कि औरतों के शरीर और उनके अंदर लिखी हुई हैं.”
- अमृता प्रीतम
“कहानी लिखने वाला बड़ा नहीं होता, बड़ा वह है जिसने कहानी अपने जिस्म पर झेली है.”
- अमृता प्रीतम
“प्रेम में पड़ी स्त्री को, तुम्हारे साथ सोने से ज़्यादा अच्छा लगता है तुम्हारे साथ जागना! पर अफसोस हमारे पुरुष प्रधान समाज की अधिकांश आबादी स्त्री को कामवासना की पूर्ति के साधन के अलावा कुछ समझ नहीं पाया! मुझे ऐसे लोगों की सोच पर तरस आता है.”
- अमृता प्रीतम
“जिंदगी तुम्हारे उसी गुण का इम्तिहान लेती है, जो तुम्हारे भीतर मौजूद है…. मेरे अंदर इश्क़ था,”
- अमृता प्रीतम