बचपन बचाओ आंदोलन के तहत कैलाश संवार रहे हैं बच्चों की जिंदगी

कैलाश सत्यार्थी उन भारतीयों में से हैं, जिन्होंने समाज में एक मिसाल कायम की. कैलाश ने हजारों बच्चों को मजदूरी से मुक्ति दिलाई, और 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बने.

बाल श्रम के खिलाफ कैलाश 'बचपन बचाओ आंदोलन' भी चलाते हैं, जिसके जरिए वो बच्चों को पढ़ा रहे हैं. साथ ही बच्चों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं.

वो अब तक 90 हजार से अधिक बच्चों को बंधुआ मजदूरी, और गुलामी की जिंदगी से मुक्त कर उनका पुनर्वास करा चुके है.  

कैलाश सत्यार्थी का जन्म 1954 में मध्य प्रदेश के विदिशा में हुआ. वह एक भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्ता हैं.  

उन्होंने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए 1980 में 'बचपन बचाओ आंदोलन' शुरू किया. जिसके जरिए उन्होंने न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों में बच्चों के अधिकारों के लिए काम किया.

'बचपन बचाओ आंदोलन' के जरिए कैलाश सत्यार्थी और उनके सहयोगियों के द्वारा अब तक 80 हजार से ज्यादा बच्चों के जीवन को सुधारा गया. इन बच्चों को बेहतर शिक्षा और जीवनयापन में सहयोग किया गया.

बच्चों के अधिकारों के लिए काम करते हुए उन्हें तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इस दौरान उन पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए.  

बाल अधिकारों के लिए उनके उल्लेखनीय काम का देखते हुए उन्हें 2004 में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया. उन्हें यह पुरस्कार पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के साथ साझा रूप से दिया गया.