नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है.
मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं.
माता रानी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना से चंद्रमा के बुरे प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि.
नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. ऐसे में पहले कलश स्थापना करें और पूजा का संकल्प लें.
फिर मां शैलपुत्री को धूप, दीप दिखाकर अक्षत, सफेद फूल, सिंदूर, फल चढ़ाएं.
मां के मंत्र का उच्चारण करें और कथा पढ़ें. भोग में आप जो भी दूध, घी से बनी चीजें लाएं हैं वो चढ़ाएं.
अब हाथ जोड़कर मां की आरती उतारें. अनजाने में हुई गलतियों की माफी मांगे और आप पर आर्शीवाद बनाएं रखने की प्रार्थना करें.
कहा जाता है कि मां को शैल के समान यानी सफेद वस्तुएं प्रिय हैं. ऐसे में मां को सफेद वस्त्रों के साथ भोग में भी सफेद मिष्ठान और घी अर्पित किए जाते हैं.
साथ ही इस दिन सफेद वस्त्र भी धारण करें. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.