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10th April in History: दुनिया में पहली बार Netherlands की सीनेट ने इच्छा मृत्यु को दी थी मंजूरी, जानिए भारत समेत बाकी देशों में क्या है नियम

Euthanasia: दुनिया में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता देने वाला पहला देश नीदरलैंड है. इसके बाद कई देशों ने इच्छा मृत्यु को कानूनी तौर पर स्वीकार किया. कई देशों में अभी भी इसपर काम चल रहा है. भारत में भी सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु के समर्थन में अपना फैसला सुनाया है. हालांकि सभी देशों में कुछ शर्तों के साथ इसे कानूनी मान्यता मिली है.

10 अप्रैल 2001 को नीदरलैंड की सीनेट ने इच्छा मृत्यु कानून को मंजूरी दी थी 10 अप्रैल 2001 को नीदरलैंड की सीनेट ने इच्छा मृत्यु कानून को मंजूरी दी थी

भारत में पौराणिक कथाओं में इच्छा मृत्यु का वरदान मिलने का जिक्र कई बार आता है. लेकिन आधुनिक दुनिया में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता देने वाला पहला देश नीदरलैंड है. आज के दिन ही यानी 10 अप्रैल 2001 को नीदरलैंड की संसद के ऊपरी सदन में इच्छा मृत्यु का बिल पास हुआ था. हालांकि कानून के तौर एक अप्रैल 2002 को ये देश में लागू हुआ. नीदरलैंड इच्छा मृत्यु को कानून मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश था. हालांकि आज कई देश इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता दे चुके हैं, लेकिन आज भी सैकड़ों देश हैं, जहां इच्छा मृत्यु को गैर कानूनी माना जाता है. चलिए आपको बताते हैं किन-किन देशों में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता है.

नीदरलैंड-
नीदरलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां इच्छा मृत्यु कानूनी तौर पर मान्य है. एक अप्रैल 2002 से ये कानून देश में लागू है. इसके लिए देश में बड़ी लड़ाई लड़ी गई. 30 सालों के संघर्ष के बाद इच्छा मृत्यु को कानूनी जामा पहनाया गया था. इसके बाद दुनिया के दूसरे देश भी इस कानून को अपनाने लगे.

बेल्जियम-
बेल्जियम नीदरलैंड के बाद इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का दूसरा देश है. बेल्जियम में इसके लिए कड़ी शर्तें लगाई गई हैं. गंभीर मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों को ही इच्छा मृत्यु की कानूनी इजाजत है. अगर शर्तों का पालन सही तरीके से नहीं किया गया तो सजा का भी प्रावधान है. शर्तों का पालन किए बिना मरने में मदद करने वालों को एक से तीन साल की जेल हो सकती है.

लक्जमबर्ग-
इस देश में साल 2008 में ही इच्छा मृत्यु को वैधता मिली हुई है. अगर कोई मरीज गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो उसके लिए ये कानूनी विकल्प है. इसके लिए मरीज को कम से कम दो डॉक्टर और एक मेडिकल पैनल से इसके पक्ष में लिखित सलाह जमा करनी होती है. इसके बाद मरीज इच्छा मृत्यु की मांग कर सकता है.

ऑस्ट्रेलिया-
ऑस्ट्रेलिया में भी इच्छा मृत्यु को कानूनी वैद्यता है. हालांकि ये सिर्फ एक राज्य में है. विक्टोरिया राज्य ने साल 2019 में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता दी. इस राज्य में ये कानून उन लोगों पर लागू होता है, जो जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं और उनका दिमाग ठीक काम कर रहा हो. इसके साथ ही ये भी शर्त है कि उनकी जिंदगी के सिर्फ 6 महीने बचे हों. विक्टोरिया के अलावा दूसरे राज्यों में भी इसे लागू करने पर काम चल रहा है.

स्विट्जरलैंड-
स्विट्जरलैंड में भी इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता है. इतना ही नहीं, इस देश में कोई विदेशी भी जाकर इच्छा मृत्यु पा सकता है. इस देश में अगर मरीज चाहता है तो मेडिकल मदद से उसको मौत दी जा सकती है. इस देश में ये अपराध नहीं है.

कोलंबिया-
साल 2015 में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता देने वाले देशों में कोलंबिया भी शामिल हो गया. कोलंबिया में संवैधानिक अदालत ने साल 1997 में इच्छा मृत्यु के समर्थन में अपना फैसला सुनाया था. लेकिन उसके बाद से ये अटका रहा. डॉक्टर ऐसा करने से कतराते थे, क्योंकि वो देश में लागू एक और कानून से डरते थे. जिसके तहत इच्छा मृत्यु के लिए 6 महीने से 3 साल की सजा का प्रावधान था. हालांकि साल 2015 में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता दे दी गई.

जर्मनी-
साल 2017 में जर्मनी की एक कोर्ट ने गंभीर रूप से बीमार लोगों को इच्छा  मृत्यु की इजाजत दी थी. इसके एक साल के भीतर ही 108 मरीजों ने इच्छा मृत्यु के लिए आवेदन कर दिया. जिसमें से कई लोगों ने यूथेनेसिया ड्रग लेकर जान दी है.

अमेरिका-
अमेरिका के कुछ राज्यों जैसे ऑरेगन में साल 1997 से इच्छा मृत्यु वैध है. कैलिफोर्निया ने भी बाद में इच्छा मृत्यु को वैधता दे दी. इसके तहत इच्छा मृत्यु चाहने वाले मरीज को डॉक्टर दवा देते हैं, जिसे कॉकटेल कहा जाता है. इसको लेने के आधे घंटे के भीतर मरीज की मौत हो जाती है.

कनाडा-
कनाडा के क्यूबेक प्रांत ने जून 2014 में इस कानून को अपनाया. जिसकी मदद से गंभीर रूप से बीमार मरीजों को डॉक्टरों की मदद से मौत का अधिकार मिलता है. क्यूबेक कनाडा का पहला राज्य है, जहां इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता मिली है.

भारत-
साल 2018 में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने पैसिव यूथेनेसिया के समर्थन में अपना फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इच्छा मृत्यु को वैध करार दिया. इसके लिए इच्छुक व्यक्ति को स्वस्थ शारीरिक और मानसिक स्थिति में यह वसीयत करनी होगी. इसके तहत धीरे-धीरे मरीज को लाइफ सपोर्ट से हटाया जाता है.

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