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4th July History: अमेरिका के लिए खास है 4 जुलाई की तारीख! 1776 में इसी दिन मिली थी आजादी, 1884 में फ्रांस से तोहफे में मिली थी स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी

4 जुलाई की तारीख दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका के इतिहास के लिए खास है. साल 1776 में इसी दिन अमेरिका को ग्रेट ब्रिटेन से आजादी मिली थी. इसके ठीक 108 साल बाद फ्रांस की ओर से अमेरिका को तोहफे में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी मिली थी.

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हाइलाइट्स
  • 4 जुलाई 1776 को आजाद हुआ था अमेरिका

  • 4 जुलाई 1884 को तोहफे में मिली थी स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी

US Independence Day 2024, 4 July: अमेरिका आज दुनिया के सबसे ताकतवार देशों में से एक है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत की तरह अमेरिका पर भी लंबे समय तक ब्रिटिश राज था. लंबी लड़ाई के बाद आज ही के दिन 4 जुलाई 1776 को अमेरिका को ग्रेट ब्रिटेन से आजादी मिली थी. 4 जुलाई को ब्रिटिश कॉलोनियों के प्रतिनिधियों ने आजादी की घोषणा को अपनाया जो थॉमस जेफरसन द्वारा अपनाया गया ऐतिहासिक दस्तावेज था.

हर साल 4 जुलाई को अमेरिका में बड़ी धूमधाम के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. अमेरिका की आजादी की याद में  फ्रांसीसियों ने अमेरिका को स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी गिफ्ट के रूप में दिया था. आज हम आपको बताएंगे कि अमेरिका कैसे गुलाम हुआ था और अमेरिका को ब्रिटेन से आजादी कैसे मिली?

अमेरिका कैसे हुआ गुलाम?
माना जाता है कि क्रिस्टोफर कोलंबस जब भारत की खोज के लिए यूरोप से निकले थे तो गलती से अमेरिका पहुंच गए. इसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपने लोगों को नए द्वीप के बारे में बताया. इसके बाद कई देशों के बीच इस नए द्वीप पर जाने की होड़ मच गई. ब्रिटिशों ने सबसे ज्यादा तादाद में पहुंचकर इस आइलैंड पर कब्जा कर लिया. अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों में कॉलोनियां बसी हुईं थीं जिस पर ब्रिटेन का शासन हुआ करता था.भारत की तरह अमेरिका पर भी अंग्रेजों ने अत्याचार किए. इससे ब्रिटिश अधिकारियों और अमेरिका के मूल निवासियों के बीच टकराव पैदा होने लगा.

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आजादी की लड़ाई
अमेरिका में ब्रिटेन की 13 कॉलोनियां हुआ करती थीं. ब्रिटेन से आजादी के लिए 1870 से ही अमेरिका के लोगों ने क्रांति शुरू की दी थी. अमेरिका की 13 कॉलोनियों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष शुरू हो गया था. इन कॉलोनियों में ब्रिटिश संसद द्वारा लागू किए गए कई अधिनियम, जैसे कि स्टैम्प एक्ट और टाउनशेंडन एक्ट की वजह से तनाव बढ़ रहा था.

1875 में अमेरिका के लोग खुलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ सामने आने लगे. शुरू में आजादी की मांग करने वाले लोगों को कट्टरपंथी माना जाता था. 1776 में आजादी की लड़ाई को लोगों का समर्थन मिलने लगा. 7 जून 1776 को अमेरिका के फिलाडेल्फिया में कॉन्टिनेंटल कांग्रेस की बैठक हुई. इस मीटिंग में उपनिवेशों की आजादी के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया. इसके बाद इस प्रस्ताव की मंजूरी और ब्रिटेन से आजादी की घोषणा के लिए 2 जुलाई 1776 को गुप्त मतदान किया गया. मतदान में 13  कॉलोनियों में से 12 कॉलोनियों ने अधिकारिक तौर पर ब्रिटिश शासन से अलग होने का फैसला किया था.

अमेरिकी उपनिवेशों की आजादी का ऐलान करने वालों में उस समय के राजनेता थॉमस जेफरसन और दार्शनिक बेंजामिन फ्रैंकलिन शामिल थे. 4 जुलाई 1776 को अमेरिकी उपनिवेशों के प्रतिनिधियों ने आजादी की घोषणा को अपनाया. 4 जुलाई 1776 को ही अमेरिका की आजादी के रूप में जाना जाता है.

अमेरिका की आजादी की लड़ाई में बड़ी संख्या में लोगों को जान गई थी. अमेरिका की आजादी की इस क्रांति में लगभग 25 हजार से 70 हजार अमेरिकी लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. अमेरिका में 4 जुलाई को अमेरिका की आजादी के लिए बलिदान देने वाले सैनिकों और क्रांतिवीरों को भी याद किया जाता है.

स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी का तोहफे 
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी अमेरिकी की आजादी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. 4 जुलाई 1884 को फ्रांस ने अमेरिका को तोहफे के रूप में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को दिया था.स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी फ्रांस और अमेरिका की दोस्ती का प्रतीक है. स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी का आइडिया 1865 में फ्रेंच इतिहासकार Edouard De Laboulaye ने दिया था जिसमें अमेरिका के लोकतंत्र और अमेरिका की आजादी को दर्शाया जाएगा.

1870 में मूर्तिकार Frédéric Auguste Bartholdi ने एक विशाल औरत का स्केच बनाया जो हाथ में जलती हुई मशाल पकड़ी हुई थी. 1870 के शुरूआत में Frédéric Auguste Bartholdi अमेरिका गए और इस अमेरिकी-फ्रांसीसी स्मारक के लिए फंड जुटाने की कोशिश की. अमेरिका से लौटने के बाद  फ्रेंच इतिहासकार Edouard De Laboulaye और मूर्तिकार Frédéric Auguste Bartholdi ने मिलकर फ्रेंच-अमेरिकन यूनियन का गठन किया. उन्होंने स्मारक के लिए 60 हजार फ्रैंक जुटा लिए.

 

कैसे तैयार हुई मूर्ति?
1875 में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी पर काम शुरू हो गया. पहले स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को Liberty Enlightening the World के नाम से जाना जाता था. बाद में इस प्रोजेक्ट में इंजीनियर गुस्तैव एफिल भी शामिल हो गए.  इंजीनियर गुस्तैव एफिल वहीं व्यक्ति हैं जिन्होंने पेरिस का एफिल टॉवर तैयार किया था. स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को पूरी बनने में 9 साल का समय लगा. 1884 में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी मूर्ति पूरी तरह से बनकर तैयार हो गई.

स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी मूर्ति की ऊंचाई 151 फीट है और कुल वजन 225 टन है. 4 जुलाई 1884 को पेरिस में एक बड़े समारोह में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को अमेरिका को सौंप दिया गया. समुद्र के रास्ते जहाज से मूर्ति को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में लाया गया.

दी न्यूयॉर्क वर्ल्ड के पब्लिशर जोसेफ पुल्तिजर स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की स्थापना के लिए फंड जुटाने के लिए आगे आए. 1885 के मध्य में 1 लाख डॉलर से अधिक का डोनेशन मिल गया। इसके बाद अक्तूबर 1886 में Bedloe Island पर स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की मूर्ति को स्थापित किया गया. Bedloe Island को अब लिबर्टी आइलैंड के नाम से ही जाना जाता है.

अपने आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्ध यह शानदार मूर्ति अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के लिबर्टी द्वीपु पर स्थित है.स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की मूर्ति के मुकुट पर सात कीले हैं. ये सात कीले सातों महाद्वीपों और समुद्र को दर्शाते हैं. स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की तर्जनी(इंडेक्स फिंगर)की लंबाई 8 फीट है. अमेरिका की आजादी का प्रतीक स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को बड़ी संख्या में लोग देखने के लिए जाते हैं.