संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रहने वाले गैर मुस्लिमों को कई नए अधिकार मिले हैं. इस नए कानून के तहत अब वहां पर रहने वाले गैर मुस्लिमों को शादी, तलाक, और संतान का मिल-जुलकर देखभाल करने का अधिकार होगा.
यएई में गैर मुस्लिमों के लिए अब नहीं होगा शरिया कानून
नया कानून अबूधाबी के शेख खलीफा बिन जाएद अ-नाह्यान के आदेश से लागू हुआ है. वह यूएई के राष्ट्रपति भी हैं. यूएई की सरकारी न्यूज एजेंसी डब्ल्यूएएम इस नए कानून के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 'यह नया कानून शादी, तलाक, तलाक के बाद गुजारे के लिए मिलने वाली धनराशि, संतान की मिल-जुलकर देखभाल, पितृत्व और विरासत के मामलों पर लागू होगा''. आपको बता दें कि अभी तक देश में इस्लामी शरिया नियमों के तहत ही शादी और तलाक होते थे. मुस्लिमों के लिए शरिया नियम अभी भी लागू हैं लेकिन गैर मुस्लिमों के लिए नया कानून बना है. इस नए कानून का मकसद एक बेहतर नीती बनाकर कुशल पेशेवरों और प्रतिभाओं को यूएई में काम करने के लिए आकर्षित करना है. यूएई में आने वाले अबूधाबी, दुबई और शारजाह को दुनिया में खास व्यापारिक केंद्रों के रूप में पहचान मिली हुई है.
शरिया कानून हटाने वाला पहला देश बना यूएई
डब्ल्यूएएम के मुताबिक मुस्लिम देश में रहने वाले गैर मुस्लिमों के कानून में इस तरह का प्रविधान दुनिया में पहली बार हुआ है. नए कानून के मुताबिक मामलों की सुनवाई करने के लिए एक अदालत अबूधाबी में बनाई जाएगी. 2020 में भी यूएई ने अपने कई कानूनों में बदलाव करके गैर वैवाहिक संबंधों और शराब पीने के मामलों में राहत दी है. यूएई में सभी सात अमीरात में भारतीयों की अच्छी खासी आबादी रहती है. इसलिए इस नए कानून से बड़ी संख्या में भारतीय को फायदा होगा.