अल्बानिया अपनी सीमाओं के अंदर दुनिया का सबसे छोटा मुस्लिम देश बनाने जा रहा है. यह 'माइक्रोस्टेट' बेक्ताशी मुस्लिम समुदाय के प्रशासन के तले चलेगा. अल्बानिया के प्रधानमंत्री एडी रामा ने इस देश की स्थापना की घोषणा करते हुए कहा है कि वह इसे 'संयम, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व' का केंद्र बनाना चाहते हैं.
कौन हैं बेक्ताशी मुस्लिम?
बेक्ताशी एक सूफी इस्लामी पंथ है जिसकी शुरुआत 13वीं शताब्दी में तुर्की में हुई उस्मानिया खिलाफत के दौरान हुई थी. इसका नाम संत हाजी बेक्ताश वली के नाम पर रखा गया है. बेक्ताशी पंथ की शुरुआत सुन्नी इस्लाम की एक धारा के तौर पर हुई लेकिन 16वीं शताब्दी तक इन्होंने शिया इस्लाम के कई मूल्यों को अपना लिया.
बेक्ताशियों ने तुर्की में लंबे समय तक राजनीतिक शक्तियों का भी आनंद लिया, लेकिन 1923 में तुर्की गणराज्य की स्थापना के बाद मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने देश की ज्यादातर धार्मिक संस्थाओं को बैन कर दिया. इसके बाद बेक्ताशी समुदाय के हेडक्वार्टर अल्बानिया में बन गए.
अल्बानिया की 2023 की जनगणना के अनुसार, अल्बानिया की कुल मुस्लिम आबादी का अनुमानित 10% बेक्ताशी समुदाय है. इन बेक्ताशियों का केंद्र बेक्ताशी वर्ल्ड सेंटर है जिसे अल्बानिया सरकार एक नया राष्ट्र बनाने वाली है.
वैटिकन की तर्ज पर बनेगा नया देश
बेक्ताशी वर्ल्ड सेंटर अल्बानिया की राजधानी तिराना में मौजूद है. यह बेक्ताशी समुदाय का हेडक्वार्टर है. तुर्की छोड़कर अल्बानिया आने के बाद बेक्ताशी समुदाय को अपने लिए एक ठिकाना चाहिए था. लिहाजा उन्होंने 1930 में तिराना में बेक्ताशी वर्ल्ड सेंटर खोला.
इस हेडक्वार्टर को 1967 में अल्बानियाई कम्युनिस्ट तानाशाह अनवर होक्सा ने बंद कर दिया गया था. हालांकि 1991 में बेक्ताशी समुदाय ने वर्ल्ड सेंटर को दोबारा खोलने की कोशिशें शुरू कीं और 22 मार्च 1991 को वह इन कोशिशों में कामयाब हुए.
बेक्ताशी वर्ल्ड सेंटर करीब 27 एकड़ में फैला हुआ है. यानी अगर यह एक संप्रभु राष्ट्र बन जाता है तो यह देश वैटिकन सिटी का एक चौथाई होगा. इस देश की अपनी सरकार, अपना प्रशासन, अपने पासपोर्ट और अपनी सीमाएं होंगी.
मेनस्ट्रीम इस्लाम से बेक्ताशी अलग?
बेक्ताशी समुदाय की कई प्रथाएं मेनस्ट्रीम सुन्नी इस्लाम से अलग हैं. मिसाल के तौर पर बेक्ताशी समुदाय को आम इस्लामिक कानूनों में ढील देने के लिए पहचाना गया है. इसी कारण महिलाएं और पुरुष धार्मिक समारोहों के दौरान शराब का आनंद लेते और नृत्य करते रहे हैं.
बाल्कन में बेक्ताशियों ने ईसाई समुदाय की कई प्रथाओं को भी अपनाया. मिसाल के तौर पर, बेक्ताशी 'मगफिरत-ए-ज़ुनूब' नाम की एक प्रथा में हिस्सा लेते हैं. जिसके तहत वह साल में एक बार एक बाबा के सामने अपने पापों को कबूल करते हैं.
बेक्ताशी समुदाय के पास विशिष्ट रूप से कोई लिखित सिद्धांत नहीं हैं. इसलिए एक बेक्ताशी व्यक्ति के नियम उसके उस्ताद से प्रभावित हो सकते हैं. लिहाजा यह कहना गलत नहीं होगा कि बेक्ताशी समुदाय के वर्तमान नेताओं के मूल्यों के आधार पर ही इस नए देश के सिद्धांत तय किए जाएंगे.