
6 अगस्त 1945 का दिन इतिहास के पन्नों में काली स्याही से दर्ज है. जी हां, अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर 78 साल पहले इसी दिन परमाणु बम गिराया था. देखते ही देखते हजारों लोगों की मौत हो गई थी. यूएस ने इसके तीन दिन बाद 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर परमाणु हमला किया था. अमेरिका ने हिरोशिमा पर जिस बम को गिराया था, उसका नाम 'लिटिल बॉय' था, जबकि नागासाकी पर गिराया गया बम फैट मैन था.
क्यों मनाया जाता है कि हिरोशिमा दिवस
हिरोशिमा और नागाशाकी पर गिराए गए परमाणु बम की ये तारीखें इतिहास के पन्ने में काले दिन के रूप में दर्ज हैं. हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा डे के रूप में मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य शांति की राजनीति को बढ़ावा देना है. साथ ही हिरोशिमा पर बम हमलों के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिया मनाया जाता है.
क्यों गिराया था परमाणु बम
एक सितंबर, 1939 में शुरू हुए द्वितीय विश्व युद्ध को छह साल पूरे हो गए थे, फिर भी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही थी. इस दौरान जापान एक ताकतवर देश हुआ करता था. वह इस युद्ध में लगातार हमला कर रहा था. उसने 1941 में अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर हमला कर दिया था. उसके और हमले को रोकने के लिए अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला कर दिया और जापान को उसने कभी नहीं भूलने वाला दर्द दिया. द्वितीय विश्व युद्ध को 1939 से लेकर 1945 तक लड़ा गया. बमबारी के प्रभाव को देखने के बाद, जापान के सम्राट हिरोहितो ने 15 अगस्त को रेडियो से द्वितीय विश्व युद्ध में बिना शर्त आत्मसमर्पण की घोषणा की थी.
जापान ने परमाणु बम नहीं बनाने की खाई कसम
परमाणु बम का असर ऐसा दिखा की कई सालों तक जापान के इस शहर में रहने वाले लोग विकिरण बीमारी, जलन और अन्य घावों के कारण मरते रहे. इस हमले से हिरोशिमा में कुल एक लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इस तबाही को देखते हुए जापान ने परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और कभी परमाणु बम नहीं बनाने का संकल्प लिया. जापान के दो शहर को तबाह करने के बाद आज तक अमेरिका ने इसके लिए माफी नहीं मांगी है.
अमेरिका पास क्या-क्या थे ऑप्शन
1. 1942 की शुरुआत से ही अमेरिकी जापान पर बम गिरा रहा था. अप्रैल 1944 से लेकर अगस्त 1945 के बीच अमेरिकी बममारी में 3,33,000 लोग मौत की नींद सो गए. मार्च 1945 में टोक्यो पर हमला किया गया, जिसमें 80 हजार लोगों की जान गई. लेकिन जापान ने सरेंडर करने से इनकार कर दिया. तब अमेरिका ने ये मान लिया कि सिर्फ पारंपरिक बमबारी के जरिए जापान घुटने नहीं टेकने वाला है.
2. अमेरिका के पास ये भी ऑप्शन था कि वह जापान पर जमीनी हमला बोले. लेकिन जापान ऐसा करने पर और भी ज्यादा आक्रामक हो जाता. जापानी लोग देश को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे. 1945 में ही हुए इवो जीमा युद्ध में अमेरिका के 6200 सैनिक और ओकिनावा युद्ध में 13 हजार सैनिकों और नाविकों की मौत हुई थी. इसलिए जमीनी हमला बोलना मुफीद नहीं लग रहा था.
3. अमेरिका के पास ऑप्शन था कि वह परमाणु बमों का शक्ति प्रदर्शन करे, जिससे जापान डर जाए और जल्द से जल्द सरेंडर कर दे. हालांकि, ये माना गया कि जापान सिर्फ एक व्यक्ति या उस कमिटी के फैसले के आधार पर सरेंडर का निर्णय नहीं लेगा, जो उसे आकर ये बताए कि बम खतरनाक है. अमेरिका को ये भी लगता था कि अगर ये नया बम नहीं फटा, तो जापान सरेंडर करने के बजाय युद्ध में आक्रामक हो सकता है.
4. सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद ये सहमति बनी कि जापान के किसी शहर पर बम गिराना ज्यादा सही है. हमले से पहले शहर खाली करने का नोटिस भी नहीं दिया, क्योंकि अमेरिका को डर था कि यदि ऐसा किया गया तो उसके बॉम्बर विमानों को ढेर किया जा सकता है.
लिटिल बॉय ने हिरोशिमा को किया था तबाह
अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर जिस लिटिल बॉय नाम का परमाणु बम गिराया था उसका वजन करीब चार टन यानी चार हजार किलो वजन का था. इस लिटिल बॉय में करीब 65 किलो यूरेनियम भरा हुआ था. इस बम को एनोला गे नाम के विमान से गिराया गया, जिसके पायलट पाल टिबेट्स थे. अमेरिका इस बम को जापान के एओई ब्रिज पर गिराना चाहता था, हालांकि, लक्ष्य से दूरी पर गिरने के कारण लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और कई हजार लोग घायल हो गए.
फैट मैन ने नागासाकी को किया था बर्बाद
अमेरिका ने हिरोशिमा के तीन दिन के बाद जापान के एक और शहर नागासाकी पर फैट मैन नाम के परमाणु बम से हमला किया था. इस हमले में करीब 74,000 लोग मारे गए थे. 4500 किलो वजनी फैट मैन 6.5 किलो प्लूटोनियम से भरा हुआ था.
हिरोशिमा परमाणु हमले से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
1. परमाणु हमले से तबाह हुआ हिरोशिमा शहर जापान के सबसे बड़े द्वीप होंशू में स्थित है.
2. इस बम के कारण जमीनी स्तर पर लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी पैदा हुई थी.
3. बम हिरोशिमा के तय जगह पर नहीं गिराया जा सका था, यह हिरोशिमा के आइयो ब्रिज के पास गिरने वाला था मगर उल्टी दिशा में बह रहे हवा के कारण यह अपने लक्ष्य से हटकर शीमा सर्जिकल क्लिनीक पर गिरा.
4. धमाके के तुरंत बाद 30 फीसदी आबादी खत्म हो गई थी, जो बच गए वे अपंगता के शिकार हो गए.
5. दूर-दूर तक के इलाकों में घंटों काली बारिश होती रही और रेडियोएक्टिव विकिरण ने बचे हुए लोगों पर कहर ढाया. लोग परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते मारे गए.
6. बम गिरने की जगह के 29 किलोमीटर क्षेत्र में काली बारिश हुई. जिससे मौतें बढ़ीं और इस काली बारिश ने अपने संपर्क में आने वाली सभी चीजों को भी दूषित कर दिया.
7. 9 अगस्त को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम हमला हुआ और 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए.
8. गॉलवे अलायंस अगेंस्ट वॉर हिरोशिमा दिवस को याद करने के लिए आयर स्क्वायर में एक वार्षिक कार्यक्रम भी आयोजित करता है.
9. एक रिपोर्ट के मुताबिक यदि जापान सरेंडर नहीं करता तो अमेरिका ने 19 अगस्त को एक और शहर पर परमाणु बम गिराने की योजना बनाई थी.