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New START Nuclear Arms Treaty: बाइडेन के यूक्रेन दौरे से नाराज रूस ने तोड़ा 11 साल पुराना परमाणु समझौता, जानें क्या है न्यू स्टार्ट ट्रीटी

पुतिन ने रूस परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका के साथ की गई न्यू स्टार्ट ट्रीटी को सस्पेंड करने की घोषणा की है. हालांकि रूस ने अभी भी एक रास्ता खोल रखा है. खुद पुतिन ने कहा- हम एटमी ट्रीटी को छोड़ नहीं रहे हैं, फिलहाल इसे सस्पेंड किया गया है. अभी इस बारे में विचार किया जाना है. 

बाइडेन के यूक्रेन दौरे से नाराज रूस ने तोड़ा 11 साल पुराना परमाणु समझौता बाइडेन के यूक्रेन दौरे से नाराज रूस ने तोड़ा 11 साल पुराना परमाणु समझौता
हाइलाइट्स
  • अब भी बातचीत को तैयार है रूस

  • रूस ने तोड़ा 11 साल पुराना परमाणु समझौता

24 फरवरी को रूस और यूक्रेन की जंग को एक साल पूरा होने वाला है. उसके तीन दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्र के नाम एक संबोधन दिया. जिसमें पुतिन ने रूस परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका के साथ की गई न्यू स्टार्ट ट्रीटी को सस्पेंड करने की घोषणा की है. व्लादिमीर पुतिन ने कहा, "मुझे आज यह घोषणा करने के लिए मजबूर किया गया है कि रूस रणनीतिक आक्रामक हथियारों की संधि में अपनी भागीदारी को निलंबित कर रहा है."

अब भी बातचीत को तैयार है रूस
राष्ट्र के अपने संबोधन में बोलते हुए, पुतिन ने यह भी कहा कि यदि अमेरिका ऐसा करता है तो रूस को परमाणु हथियारों के परीक्षण को फिर से शुरू करने के लिए तैयार रहना चाहिए, एक ऐसा कदम जो शीत युद्ध के समय से परमाणु हथियारों के परीक्षणों पर वैश्विक प्रतिबंध को समाप्त कर देगा. न्यू START के तहत रूस के दायित्वों को निलंबित करने के अपने फैसले की व्याख्या करते हुए, पुतिन ने अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों पर खुले तौर पर यूक्रेन में रूस की हार के लक्ष्य की घोषणा करने का आरोप लगाया. पुतिन ने कहा- रूस ने शुरुआत में जंग को टालने के लिए तमाम डिप्लोमैटिक कोशिशें की, लेकिन नाटो और अमेरिका ने इन्हें कामयाब नहीं होने दिया. हम अब भी बातचीत चाहते हैं, लेकिन इसके लिए शर्तें मंजूर नहीं हैं."

नई स्टार्ट संधि क्या है?
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव द्वारा हस्ताक्षरित, नई START संधि पर 2010 में हस्ताक्षर किए गए थे. 5 फरवरी, 2011 को रूस और अमेरिका के बीच न्यू स्टार्ट ट्रीटी को लागू किया गया था. दरअसल इस ट्रीटी का मकसद दोनों देशों में परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करना था. दोनों देशों ने तय किया था कि वो अपने पास 1550 से ज्यादा परमाणु हथियार और 700 से ज्यादा स्ट्रैटेजिक लॉन्चर नहीं रखेंगे. पहले इसकी अवधि दस साल यानी 2021 तक थी, बाद में इसे बढ़ाकर 2026 तक कर दिया गया था.

क्या हैं इसके मायने?
न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में NATO के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलेनबर्ग ने पुतिन के फैसले पर कहा कि इससे तो एटमी हथियारों पर कंट्रोल का पूरा सिस्टम ही तबाह हो जाएगा. रूस को फैसले पर फिर विचार करना चाहिए. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस फैसले में कुछ नया नहीं है, क्योंकि रूस पहले ही इस करार का पालन नहीं कर रहा था. हमने जनवरी में ही इस बारे में जानकारी दे दी थी. जब रूस ने अमेरिकी टीम को अपनी न्यूक्लियर साइट्स के इंस्पेक्शन से रोक दिया था. हालांकि रूस ने अभी भी एक रास्ता खोल रखा है. खुद पुतिन ने कहा- हम एटमी ट्रीटी को छोड़ नहीं रहे हैं, फिलहाल इसे सस्पेंड किया गया है. अभी इस बारे में विचार किया जाना है. 

क्या रूस ने पहले बाहर निकलने की धमकी दी है?
इससे पहले, रूस ने कहा था कि वह संधि को संरक्षित करना चाहता था, इसके बावजूद कि उसने हथियार नियंत्रण के लिए एक विनाशकारी अमेरिकी दृष्टिकोण कहा था. रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका मिलकर दुनिया के परमाणु हथियारों का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं, और दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया है कि परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध को हर कीमत पर टाला जाना चाहिए. हालांकि, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने दोनों देशों को पिछले 60 वर्षों में किसी भी समय की तुलना में सीधे टकराव के करीब धकेल दिया है.