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Balochistan: बलूचिस्तान में क्यों होती है आजादी की मांग, क्या है इस इलाके की अहमियत, Pakistan ने कैसे किया था इसपर कब्जा

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. देश का 40 फीसदी हिस्सा बलूचिस्तान ही है. लेकिन इस इलाके में सिर्फ 6 फीसदी आबादी रहती है. बलूचिस्तान में तांबा, सोना और यूरेनियम का भंडार है. पाकिस्तान के 3 नौसैनिक अड्डे बलूचिस्तान में है. पाकिस्तान ने इस इलाके के चगाई में परमाणु परीक्षण किया था.

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पाकिस्तान में फिर से अलगाव की आवाज बुलंद होने लगी है. बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले संगठन एक्टिव हो गए हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला किया है. द बलूचिस्तान पोस्ट के मुताबिक बीएलए का दावा है कि उसने माच और बोलन शहरों पर कब्जा कर लिया है. संगठन ने माच शहर में हमले में 45 पाकिस्तानी सैनिकों को मारने का दावा किया है. हालांकि पाकिस्तान ने किसी भी सैनिक के मारे जाने से इनकार किया है.

बलूचिस्तान में आजादी की मांग काफी समय से उठती रही है. BLA भी इस इलाके की पाकिस्तान से आजादी चाहता है और उसकी लड़ाई लड़ता रहा है. इसी के मद्देनजर संगठन ने पाकिस्तान पर बड़ा हमला किया है. चलिए आपको बताते हैं बलूच क्यों आजादी की मांग कर रहे हैं? बलूचिस्तान इलाके में क्या है और कैसे पाकिस्तान ने इस इलाके पर कब्जा किया था.

क्यों आजाद होना चाहता है बलूचिस्तान-
बलूचिस्तान पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है. यह अफगानिस्तान और ईरान से सटा हुआ है. इसकी राजधानी क्वेटा है. यहां के लोगों को बलूच या बलूची नाम से जाना जाता है. बलूचिस्तान के पास पूरे पाकिस्तान का 40 फीसदी से ज्यादा गैस प्रोडक्शन होता है. इस इलाके में कॉपर और सोना पाया जाता है. पाकिस्तान इन प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करता है. लेकिन बलूचिस्तान के लोगों को इसका फायदा नहीं मिलता है. उनकी आर्थिक हालत लगातार खराब होती जा रही है.

बलूचिस्तान में इसलिए आजादी की मांग उठती रही है कि क्योंकि इनकी भाषा और कल्चर पाकिस्तान से अलग है. इस इलाके के लोग बलूची बोलते हैं. जबकि पाकिस्तान में उर्दू और पंजाबी का दबदबा है. इस इलाके के लोगों को डर है कि पाकिस्तान उनकी भाषा और कल्चर को खत्म कर देगा.

बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक बड़ा प्रांत है. लेकिन सियासत और सेना में उनकी भूमिका नाम मात्र की है. बड़े पदों पर पंजाबी भरे पड़े हैं. बलूचों को कोई जगह नहीं मिलती है. बलूचिस्तान के संगठन पाकिस्तान में इस इलाके में मानवाधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हैं. अक्सर ऐसा देखा गया है कि बलूचिस्तान के समर्थक गायब हो जाते हैं या साजिश के तहत उनकी हत्या हो जाती है.

बलूचिस्तान की अहमियत-
पाकिस्तान का 44 फीसदी हिस्सा बलूचिस्तान में पड़ता है. लेकिन यहां की आबादी सिर्फ 6 फीसदी है. इसमें बलूच, ब्राहुई और पश्तून आते हैं. बलूचिस्तान का एक हिस्सा अरब सागर का विशाल तट है तो दूसरा इलाक अफगानिस्तान और ईरान से सटा है. बलूचिस्तान में गैस, खनिज और दूसरे प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है. ये इलाका प्राकृतिक संसाधनों के मामले में पाकिस्तान का सबसे अमीर प्रांत है. चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का बड़ा हिस्सा इस इलाके से गुजरता है. इस इलाके में दुनिया के कई देश खनन परियोजनाओं से जुड़े हैं. ग्वादर बंदरगाह भी इसी इलाके में पड़ता है. कनाडा की खनन कंपनी बैरिक गोल्ड की रेको डिक खदान में 50 फीसदी हिस्सेदारी है.

पाकिस्तान ने कैसे किया था कब्जा-
आजादी के समय बलूचिस्तान इलाके में 4 रियासतें थीं. इसमें कलात, खारान, लॉस बुला और मकरान शामिल थीं. 16 अगस्त 1947 को कलात ने खुद को आजाद घोषित कर दिया. इसके बाद कलात में दो सदन वाले संसद का गठन किया गया. दोनों सदनों से आजादी का प्रस्ताव पास किया गया. लेकिन 21 अगस्त 1947 को खारान के शासक मीर मुहम्मद हबीबुल्लाह ने मोहम्मद अली जिन्ना को खत लिखा और कहा कि मेरी सल्तनत कभी कलात के काबू में नहीं आएगी और हम उनका भरपूर विरोध करेंगे. लेकिन जिन्ना ने इस खत को कोई खास तवज्जो नहीं दी. लेकिन जब मकरान और लॉस बुला रियासतों ने भी पाकिस्तान में विलय की ख्वाहिश जाहिर की तो जिन्ना इस तरफ आगे बढ़े. 17 मार्च 1948 को जिन्ना ने खारान, लॉस बुला और मकरान रियासतों का पाकिस्तान में विलय करा लिया.

21 मार्च को जिन्ना ने कलात पर हमले का आदेश दे दिया. पाकिस्तानी सेना ने कलात के खान को पकड़ लिया और कराची ले गए. इसके बाद जबरस्ती उनसे विलय पत्र पर दस्तखत कराए गए. इस तरह से 225 दिन की आजादी के बाद कलात का पाकिस्तान में विलय हो गया.

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