
शेख हसीना सरकार (Sheikh Hasina Government) के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश (Bangladesh) जिस राह चल पड़ा है. अब उसकी मंजिल नजर आने लगी है. जी हां, जो पांच दशक तक नहीं हुआ, अब होने जा रहा है. जिस पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) के जुल्म की दास्तां बांग्लादेशी आज तक नहीं भूले हैं, उसी को बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) ने इज्जत के साथ न्योता दिया है.
बांग्लादेश के सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान आर्मी की टीम को बुलाया गया है. इससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या बांग्लादेश एक बार फिर पाकिस्तान की गुलामी स्वीकार कर लेगा क्या? आइए जानते हैं बांग्लादेश और पाकिस्तान के इस 'नापाक गठजोड़' से भारत (India) की टेंशन कितनी बढ़ने वाली है?
1971 में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए लड़ी गई थी जंग
पाक आर्मी के एक मेजर जनरल रैंक के अफसर के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम बांग्लादेशी आर्मी को ट्रेनिंग देगी. ये ट्रेनिंग अगले साल फरवरी में शुरू होगी. पहले चरण की ट्रेनिंग मेमनशाही कैंट में आर्मी ट्रेनिंग एंड डॉक्ट्रिन कमांड यानी ATDC मुख्यालय में होगी. ट्रेनिंग का ये पहला चरण एक साल तक चलेगा. इसके बाद पाक आर्मी बांग्लादेश आर्मी की सभी 10 कमांड में भी ट्रेनिंग देगी.
आपको मालूम हो कि पाकिस्तानी आर्मी के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने गत नवंबर में बांग्लादेश को ट्रेनिंग का प्रस्ताव भेजा था. इसे बांग्लादेश आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने मंजूर कर लिया था. अब जनरल वकार ने पाकिस्तान आर्मी को ट्रेनिंग के लिए औपचारिक तौर पर निमंत्रण दे दिया है. यानी 1971 में जिस पाकिस्तानी सेना को पूर्वी पाकिस्तान (अब का बांग्लादेश) से निकालने के लिए एक जंग लड़ी गई. लाखों लोगों की जान गई और तब कहीं भारतीय सेना के पराक्रम की वजह से पाकिस्तानी सेना को सरेंडर करना पड़ा. अब बड़ी आसानी से वही पाक आर्मी बांग्लादेश में एंट्री करने जा रही है.
हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से ही पाकिस्तान एक्टिव
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेश में पाकिस्तान एक्टिव है. बांग्लादेश से आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्ते बहाल किए जा रहे हैं. कुछ दिन पहले ही जब इजिप्ट की राजधानी में शहबाज शरीफ और युनूस मिले तो ताल्लुकात और मजबूत करने पर सहमति बनी. यूनुस 1971 की जंग को भूलकर पाकिस्तान से साथ चलने के लिए तैयार दिखे तो शहबाज शरीफ ने भी बांग्लादेश को भाई बताया. दोस्ती का ये सिलसिला अब सेना तक आ गया है.
बांग्लादेश ने पाकिस्तान से गोला-बारूद की मंगाई खेप
बांग्लादेश ने पाकिस्तान से गोला-बारूद की दो खेप मंगाई है. सितंबर से दिसंबर के बीच बांग्लादेश ने 40 हजार राउंड एम्युनिशन मंगवाए हैं, जो पिछले साल की तुलना में तीन गुना ज्यादा हैं. इसके अलावा 2 हजार राउंड टैंक एम्युनिशन और 40 टन RDX भी मंगवाया है.
शेख हसीना सरकार ने नहीं थी अनुमति
जानकार मान रहे हैं कि ये शुरुआत है. आगे बांग्लादेश में पाकिस्तानी गोला-बारूद की तादाद बढ़ने वाली है. सैन्य सहयोग का सिलसिला तेजी से बढ़ने वाला है. खबर है कि बांग्लादेश की नौसेना अगले साल फरवरी में पाकिस्तान के साथ कराची पोर्ट पर नौसेनिक युद्धाभ्यास करेगी. पाकिस्तान हर दो साल बाद नौसैनिक युद्धाभ्यास का आयोजन करता है. इसबार संयुक्त युद्धाभ्यास को अमन-2025 नाम दिया गया है.
बांग्लादेश 15 साल बाद इस युद्धाभ्यास में शामिल होगा. जब तक शेख हसीना की सरकार रही, बांग्लादेश ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था. शेख हसीना ने तो साल 2022 में पाकिस्तान के युद्धपोत तैमूर को चटगांव में रुकने की परमिशन तक नहीं दी थी. इसके कारण तैमूर को म्यांमार के पोर्ट पर लंगर डालकर फ्यूल लेना पड़ा था. इधर, यूनुस की सरकार में पाकिस्तान की मुराद पूरी हो रही है. न सिर्फ बांग्लादेश की जमीन पर उसकी सेना की एंट्री हो रही है बल्कि आर्म्स एम्यूनेशन के लिए खरीदार मिल रहा है. अब देखना ये है कि बांग्लादेश की आवाम, जिसे पाकिस्तान कतई पसंद नहीं, क्या वो यूनुस सरकार के इस फैसले को मंजूर करेगी. या उसका सख्त विरोध शुरू होगा.
यूनुस सरकार का रूख भारत विरोधी
कहने को बांग्लादेश की कमान यूनुस के हाथ में है लेकिन पर्दे के पीछे कट्टरपंथी संगठन सत्ता संभाल रहे हैं. यही वजह है कि इस देश में हिन्दुओं पर हो रहे हमले लगातार जारी हैं और सरकार का रूख भी भारत विरोधी है. इस भारत विरोधी रूख के पीछे पाकिस्तान से कट्टरपंथी संगठनों का लगाव भी है. 1971 में भी ऐसी ताकतें पाकिस्तान के साथ थीं और अब जब कमान खुद उनके हाथ है, बगैर किसी अड़चन के पाकिस्तान से प्रीत बढ़ाई जा रही है. यहां तक कि पाकिस्तानी सेना की बांग्लादेश में एंट्री होने जा रही है. सवाल है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान की नजदीकियों से भारत पर क्या असर होगा?
सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर बढ़ सकता है खतरा
जानकार मान रहे हैं कि बांग्लादेश का पाकिस्तान प्रेम के चलते भारत के 80 किमी चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर खतरा बढ़ सकता है. इस कॉरिडोर को चिकन नेक भी कहा जाता है, जो भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.
पूर्वोत्तर के कट्टरपंथी ग्रुप हो सकते हैं हावी
यदि बांग्लादेश में पाकिस्तान हावी होता है तो भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ सकती है.आशंका है कि पाकिस्तान वहां देश विरोधी ताकतों को बढ़ावा देने की साजिश कर सकता है. पाकिस्तान की साजिश से पूर्वोत्तर के कट्टरपंथी ग्रुप हावी हो सकते हैं.
सिर्फ नॉर्थ ईस्ट ही नहीं, भारत के लिए चीन से जुड़ी चिंता भी बढ़ सकती है. चिकन नेक कॉरिडोर के पास भूटान का डोकलाम भी है. इसपर चीन कब्जा करना चाहता है. बांग्लादेश में यूनुस सरकार और अब पाक सेना की एंट्री के बाद चीन के लिए हालात अनुकूल हैं, यानी इस मोर्चे पर भी भारत को सोचना होगा. तैयारी करनी होगी.
ISI पूर्वी सरहद पर हो सकती है एक्टिव
पाकिस्तान से लगाव रखने वाली ताकते बांग्लादेश में हमेशा से मौजूद रही हैं. शेख हसीना के कार्यकाल में उनपर लगाम रही लेकिन अब बांग्लादेश की आर्मी के सहयोग से कटटरपंथी ताकतें मजबूत हो चुकी हैं. खुलकर खेल रही हैं. ऐसे में आशंका है कि पाकिस्तान के समर्थन से भारत के खिलाफ साजिशों का एक नया मोर्चा खुल सकता है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पूर्वी सरहद पर भी एक्टिव हो सकती है.
भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से बढ़ सकती है चुनौती
नए बांग्लादेश को लेकर जो आशंकाएं हैं, वो सिर्फ हवा हवाई नहीं हैं क्योंकि बांग्लादेश पाकिस्तान के इशारों पर नाचने के लिए पूरी तरह तैयार है. ढाका और इस्लामाबाद के बीच सीधी फ्लाइट सेवा फिर से शुरू करने की घोषणा हो चुकी है. पाक नागरिकों के लिए वीजा नियमों में छूट दे दी गई है.
पाकिस्तानी कार्गो शिप को चिटगांव पोर्ट पर बिना जांच प्रवेश दिया जाने लगा है. जाहिर है इन बदलावों के पीछे पाकिस्तान की रणनीति है. माना जा रहा है कि शेख हसीना की सरकार को गिराने और अंतरिम सरकार बनाने में भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने अहम भूमिका निभाई है और अब भारत के खिलाफ उसकी साजिश तेज हो सकती है. इस हिसाब से भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से चुनौती बढ़ सकती है.