बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट साजिश के तहत किया गया था. इसका खुलासा अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने किया है. मुहम्मद यूनुस ने महफूज आलम को देशव्यापी आंदोलन का मास्टरमाइंड बताया. आपको बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते देशभर में प्रदर्शन हुए थे. जिसके बाद हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था और देश से बाहर भागना पड़ा था. फिलहाल शेख हसीना भारत में हैं. चलिए आपको बताते हैं कि देशव्यापी आंदोलन के मास्टरमाइंड महफूज आलम कौन हैं?
महफूज आलम हैं आंदोलन के पीछे का मास्टमाइंड-
मुहम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव इवेंट में कहा कि यह एक स्वाभाविक जनविद्रोह नहीं था, बल्कि डिजाइन किया गया सुव्यवस्थित और अनुशासित आंदोलन था. मुहम्मद यूनुस ने महफूज आलम की तारीफ की. उन्होंने कहा कि यह वह जिम्मेदारी है, जिसे हम मिलकर लेते हैं. इसमें वह किसी भी दूसरे युवा की तरह दिखते हैं, जिन्हें आप पहचान नहीं पाएंगे. लेकिन जब आप उनको काम करते हुए देखेंगे, जब आप उन्हें बोलते हुए सुनेंगे तो हिल जाएंगे. उन्होंने अपने भाषण और समर्पण से देश को झकझोर कर रख दिया. इनको संपूर्ण क्रांति के पीछे के मास्टरमाइंड के तौर पर जाना जाता है.
कौन हैं महफूज आलम-
महफूज आलम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के स्पेशल असिस्टेंट हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब तक मुहम्मद यूनिस अपने पद पर हैं, तब तक महफूज आलम भी पद पर बने रहेंगे. महफूज आलम को सेक्रेटरी का दर्जा हासिल है. इसको लेकर बांग्लादेश के पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विभाग की तरफ से 28 अगस्त को बयान जारी किया गया था.
ढाका यूनिवर्सिटी से पढ़ाई-
रिपोर्ट के मुताबिक महफूज आलम ने साल 2015-16 में ढाका यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. महफूज ने कानून की पढ़ाई की है. वो छात्रों के साथ भेदभाव के खिलाफ शुरू हुए अभियान से भी जुड़े रहे थे.
महफूज आलम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश की एक रिपोर्ट में महफूज आलम पर गंभीर आरोप है. रिपोर्ट के मुतबिक महफूज आलम का कहना है कि वो इस्लामी छात्र शिविर से जुड़े नहीं थे और ना ही हिज्बुत तहरीर से.
इसी साल 5 अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ गया था और भारत में शरण लेनी पड़ी थी. सेना प्रमुख ने बांग्लादेश की सत्ता की कमान संभाल ली. बाद में सेना ने अंतरिम सरकार का गठन किया और उसे चलाने की जिम्मेदारी मुहम्मद यूनुस को दी.
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