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Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में सियासी बदलाव में चर्चा में रहे ये 6 बड़े चेहरे

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व पीएम शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है. सरकार विरोधी इस आंदोलन में कई चेहरे अहम रहे. इसमें छात्र नेताओं के साथ आर्मी और सियासत से जुड़े चेहरे भी शामिल हैं. नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद औरअबू बकर मजूमदार ने स्टूडेंट मूवमेंट के अहम किरदार रहे. इनके अलावा आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमान, पूर्व पीएम खालिदा जिया और राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन भी इस आंदोलन के दौरान चर्चा में रहे.

Bangladesh Crisis (Photo/PTI) Bangladesh Crisis (Photo/PTI)

बांग्लादेश के तमाम हिस्सों में हिंसा हो रही है. उधर, शेख हसीना के तख्तापलट के बाद देश में अंतरिम सरकार के गठन की दिशा में काम चल रहा है. अंतरिम सरकार का मुखिया नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को चुना गया है. पूर्व पीएम शेख हसीना और मोहम्मद यूनुस के संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. बांग्लादेश में मौजूदा सियासी संकट के 6 बड़े चेहरे रहे हैं. चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.

नाहिद इस्लाम-
26 साल के नाहिद इस्लाम ढाका यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन की अगुवाई की. नाहिद को स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट के नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था. 20 जुलाई को पुलिस ने उनको दूसरे छात्रों के साथ हिरासत में लिया था. हालांकि पुलिस ने इससे इनकार किया था. बाद उन्होंने इस आंदोलन को 'हसीना को हटाओ अभियान' में बदल दिया. नाहिद इस्लाम साल 1998 में ढाका में पैदा हुए थे. वे शादीशुदा हैं. उनके पिता एक टीचर हैं.

आसिफ महमूद-
आसिफ महमूद ढाका यूनिवर्सिटी में लैंग्वेज स्टडीज में पढ़ाई करते हैं. आसिफ जून में देशव्यापी स्टूडेंट मूवमेंट में शामिल हुए थे. 26 जुलाई को आसिफ को डिटेक्टिव ब्रांच ने हिरासत में लिया था. वो जब अस्पताल में अपना इलाज करा रहे थे, तब उनको पुलिस ने उठाया था. उनको इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया गया था. पुलिस पर आरोप था कि उनके परिवार से भी मिलने नहीं दिया गया था.

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अबू बकर मजूमदार-
अबू बकर मजूमदार ढाका यूनिवर्सिटी के भूगोल के छात्र हैं. मजूमदार नागरिक अधिकार और मानवाधिकार को लेकर काम करते हैं. 5 जून को आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद अबू बकर ने दोस्तों के साथ मिलकर स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट की शुरुआत की थी. 19 जुलाई को मजूमदार को धानमंडी इलाके से उठाया गया था. उसके बाद कई दिनों तक वो लापता रहे थे.

ये 3 छात्र स्टूडेंट्स मूवमेंट का अहम चेहरा रहे. इसके अलावा सियासी तौर पर भी इस आंदोलन में कई चेहरों की चर्चा रही. चलिए आपको उन चेहरों के बारे में बताते हैं.

जनरल वकार उज जमान-
58 साल के जनरल वकार उज जमान बांग्लादेश में आर्मी चीफ हैं. शेख हसीना की सरकार ने उनको 11 जून को आर्मी चीफ बनाया था और उन्होंने 23 जून को कार्यभार संभाला था. वकार जमान देश में बदलते हालत में सबसे अहम चेहरा रहे. जनरल वकार ने 20 दिसंबर 1985 को आर्मी ज्वाइन किया था. उन्होंने लंदन के कॉलेज से डिफेंस स्टडी में एमए की डिग्री ली है. जनरल वकार बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के रिश्तेदार हैं. जनरल वकार की पत्नी बेगम साराहनाज कामालिका रहमान शेख हसीना के चाचा की बेटी हैं.

खालिदा जिया-
खालिदा जिया बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हैं. लेकिन साल 2018 में करप्शन के मामले में उनको 17 साल की सजा की सुनाई गई थी. हालांकि बांग्लादेश में सियासी संकट के बीच उनको रिहा कर दिया गया है. खालिदा जिया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP)की चेयरपर्सन हैं. साल 1981 में उनके पति राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या के बाद उन्होंने सियासत में एंट्री की थी. कयास लगाए जा रहे हैं कि उनको बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है.

मोहम्मद शहाबुद्दीन-
मोहम्मद शहाबुद्दीन बांग्लादेश के राष्ट्रपति हैं. उनको अप्रैल 2023 में राष्ट्रपति बनाया गया था. मोहम्मद शहाबुद्दीन ने स्टूडेंट के तौर पर साल 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. शहाबुद्दीन पूर्व जिला जज रहे हैं. उन्होंने अवामी लीग के सदस्य और कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा मामलों की जांच करने वाली कमेटी की अगुवाई की थी. उस समय अवामी लीग विपक्ष में थी.

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