आतंकवादी संगठन हमास के हमलों के बाद इजरायल की जवाबी कार्रवाई जारी है. हमास को सबक सिखाने और गाजा पट्टी पर गदर मचाने के लिए इजरायल के करीब तीन लाख सैनिक गाजा बॉर्डर पर डटे हैं. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कहा है कि हमास को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. नेतन्याहू ने कहा कि यह कीमत इतनी बड़ी होगी कि आने वाली पीढ़ियां इसे याद रखेंगी. वह मध्य पूर्व का नक्शा ही बदल देंगे. बता दें कि नेतन्याहू के इस बयान के पीछे सिर्फ एक राजनेता के बोल नहीं बल्कि एक कमांडर की सोच भी शामिल है. नेतन्याहू इजरायल की स्पेशल फोर्स में काम कर चुके हैं और गोली भी खा चुके हैं.
नेतन्याहू का जन्म 1949 में इजरायल की राजधानी तेल अवीव में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई यरुशलम में हुई. साल 1956 से लेकर 1958 और 1963 से 1967 तक उनका परिवार अमेरिका पेनसिलवेनिया के चेल्टेन्हम शहर में रहा क्योंकि उनके पिता वहां के एक कॉलेज में शिक्षक थे. नेतन्याहू को शतरंज और सॉकर खेलना बहुत पसंद था. 18 साल की उम्र में नेतन्याहू इसराइल लौट आए और इजरायल डिफेंस फोर्सेज में शामिल हो गए. सेना में एक लड़ाकू सैनिक के तौर पर इनकी ट्रेनिंग हुई. आईडीएफ की स्पेशल फोर्स सेरेट मतकाल में उन्होंने पांच साल तक काम किया. इस दौरान वो कई सैन्य ऑपरेशन और मिशन में भी शामिल रहे. उन्होंने एक इलीट कमांडो यूनिट में एक कप्तान के रूप में सेवा की.
बंधकों को छुड़ाया
सैन्य अभियान के दौरान नेतन्याहू कई बार घायल भी हुए. वह 1968 में लेबनान पर हुए रेड और बंधको को छुड़ाने के लिए चलाए गए अभियान में भी शामिल हुए. सबीना फ्लाइट के बंधकों को छुड़ाए जाने के दौरान आतंकियों की गोली इनके कंधे पर भी लग गई थी. साल 1972 में सेवा से डिस्चार्ज होकर आगे की पढ़ाई के लिए दोबारा अमेरिका चले गए. इसराइल में सैन्य सेवा के बाद नेतन्याहू वापस अमेरिका चले गए जहां उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में स्नातक और मास्टर डिग्री हासिल की.1976 में नेतन्याहू के भाई जोनाथन युगांडा के एंटेबे में एक अपहृत विमान से बंधकों को छुड़ाने के लिए हुई कार्रवाई में मारे गए थे. उनकी मृत्यु का नेतन्याहू परिवार पर गहरा प्रभाव पड़ा और उनका नाम इसराइल में प्रसिद्ध हो गया. नेतन्याहू ने अपने भाई की याद में एक आतंकवाद विरोधी संस्थान की स्थापना की और 1982 में वाशिंगटन में इसराइल के मिशन के उप प्रमुख बने. 1982 में वह यरुशलम में रिम इंडस्ट्रीज मार्केटिंग डायरेक्टर बने. साल 1984 से 1988 तक नेयन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत के रूप में कार्य किया.
कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर
साल 1988 में इसराइल लौटने के बाद वो घरेलू राजनीति में शामिल हुए. नेसेट (संसद) में लिकुड पार्टी के लिए एक सीट जीतकर उप विदेश मंत्री बने. कुछ समय में ही उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया. साल 1996 में यित्ज़ाक राबिन की हत्या के बाद हुए चुनाव में इसराइल के पहले सीधे चुने गए प्रधानमंत्री बने. साल 1984 में वो संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के स्थायी प्रतिनिधि बनाए गए. अगले छह सालों में उन्होंने सियासी तौर पर एक मजबूत जगह बना ली. 1992 में नेतन्याहू लिकुड पार्टी से चुनकर संसद यानि कानेसेट में पहुंचे. तभी उन्हें संसद में लिकुड का नेता बना दिया गया. 1996 के चुनावों में उन्होंने पार्टी को शानदार जीत दिलाई और प्रधानमंत्री बन गए.
नेतन्याहू ने की हैं तीन शादियां
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने 3 शादियां की हैं. उनकी पहली पत्नी मिरियम वीजमन थीं जो 1972 से 1978 तक रहीं. मिरियम से उनकी एक बेटी, नोआ है, जिसकी शादी हो चुकी है. उनकी दूसरी पत्नी का नाम फ्लेर कैट्स नाम था. फ्लेर साल1981 से 1984 तक साथ रहीं और बाद दोनों का तलाक हो गया. नेतन्याहू की वर्तमान पत्नी, सारा चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट हैं. उनके दो बच्चे हैं जिनका नाम येयर और अवनेर है.
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