भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और रानी जेटसन पेमा 2 दिन के भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के घनिष्ठ संबंधों को और भी बेहतर बनाना है. भूटान के राजा वांगचुक वंश के मुखिया हैं. जिग्मे खेशर नामग्याल राजधानी थिम्पू में लिंगकाना पैलेस में रहते हैं. लेकिन वांगचुक वंश की शुरुआत बुमथांग जिले के वांगडूएचोलिंग पैलेस से हुई थी. इस पैलेस में ही भूटान के पहले राजा का जन्म हुआ था. यह एक भव्य पैलेस है. हालांकि रख-रखाव के अभाव यह जर्जर हो गया था. लेकिन साल 2012 में इसे विश्व स्मारक निगरानी में शामिल किया गया. इसके बाद से इसका रख-रखाव बेहतर हुआ है. चलिए इस भव्य पैलेस के बारे में जानते हैं.
भूटानी राजशाही का प्रतीक है वांगडूएचोलिंग पैलेस-
भूटान राजशाही की शुरुआत वांगडूएचोलिंग पैलेस (Wangduechhoeling Palace) से हुई. इस पैलेस को साल 1857 में टोंगसा पेनलोप जिग्मे नामग्याल के लिए निजी आवास के तौर पर बनाया गया था. यह पैलेस भूटान के पहले राजा उग्येन वांगचुक (Ugyen Wangchuck) का जन्मस्थान है. उग्येन वांगचुक को 1907 में भूटान का पहला राजा चुना गया. 20वीं शताब्दी में वांगचुक के अधीन वांगडूएचोलिंग पैलेस काफी शक्तिशाली बना. इस पैलेस में राजा का ऑफिस और कोर्ट था. साल 1950 में राजधानी को पारो शिफ्ट कर दिया गया. इसके 10 साल बाद शाही फैमिली भी इस महल को छोड़कर पारो चली गई.
कहां है वांगडुएचोलिंग पैलेस-
वांगडुएचोलिंग पैलेस बुमथांग घाटी में है. यह भूटान का आध्यात्मिक और भौगोलिक केंद्र है. यह जगह रणनीतिक तौर पर काफी अहम था. 19वीं शताब्दी के आखिरी और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में इस जगह से राजा शासन करते थे. बुमथांग घाटी अपनी समृद्ध विरासत और प्राचीन बौद्ध मंदिरों के लिए फेमस है.
दूसरे राजा ने इस पैलेस से चलाया शासन-
उग्येन वांगचुक के बेटे जिग्मे वांगचुक भूटान के दूसरे राजा बने. उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन इसी पैलेस में बिताया. उन्होंने पूरे देश में मठों और स्कूलों का जीर्णोद्वार कराया. उन्होंने महल के मैदान में वार्षिक उत्स्व की शुरुआत की. इसमें पूरे देश से नागरिक शामिल होते थे. उनके समय में यह पैलेस शासन का केंद्र बन गया.
भूटान के तीसरे राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक का जन्म साल 1928 में ट्रोंगसा के थ्रुएपांग महल में हुआ था. लेकिन उनका ज्यादातर जीवन वांगड्यूचोलिंग पैलेस में बीता. पिता के निधन के बाद दोरजी वांगचुक थिम्पू चले गए.
पैलेस पर शानदार नक्काशी और पेंटिंग-
वांगडुएचोलिंग पैलेस जैसी शानदार नक्काशी और पेंटिंग शायद ही भूटान में कहीं और देखी गई है. हालांकि मौसम की मार और राजशाही की अनदेखी की चलते पैलेस की बाहरी सजावट और चमक फीकी पड़ गई. लेकिन फिर से इस महल का जीर्णोद्वार किया गया. इमारत की सड़ी हुई लकड़ी की बीम, पत्थर की जड़ाई को ठीक किया गया. महल के 31 कमरों का जीर्णोद्वार किया गया. इमारत को आग से सुरक्षित बनाने पर काम किया गया.
राजमहल में क्या-क्या है-
यह महल पारंपरिक भूटानी वास्तुकला और शिल्प कौशल का एक असाधारण उदाहरण है. इस भव्य पैलेस के एक भव्य मैदान है. इसमें राष्ट्रीय खेल तीरंदाजी की प्रैक्टिस के लिए एक पारंपरिक जगह है. इसके अलावा लिंग्का लखांग का एक मठ, 5 छुखोर मणि और एक बौद्ध स्मारक चोएटेन माप या लाल स्तूप है.
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