किसी भी शहर की इमारतें उस शहर की बनावट को तय करती हैं. ये वहां की सभ्यता, संस्कृति और उसके सामने गुजरे सदियों के इतिहास की दास्तान कहती हैं. कोई भी शहर पूर्व में किन परिस्थितियों से गुजरा है, या वहां के लोगों की आपबीती क्या यही अगर ये जानना चाहते हैं तो वहां की इमारतों की तरफ रुख करना होता है. इन्हीं में से कुछ ख़ास इमारतें ऐसी भी होती हैं जो खुशनसीब होती हैं और उस जगह की पहचान बन जाती हैं. बर्लिन का ब्रांडेनबर्ग गेट इन्हीं में से एक है.
दरअसल, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिन के यूरोप दौरे पर गए हैं. यूरोप दौरे के पहले दिन, सोमवार को वे जर्मनी के बर्लिन में पहुंचें थे. जहां उनका स्वागत कई प्रवासी भारतीयों ने इसी ब्रांडेनबर्ग गेट पर किया है. बात दें, ये कोई आम गेट नहीं है ये बर्लिन के लोगों की एकता, आशा और शांति के प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है. लेकिन इसका इतिहास क्या है चलिए जानते हैं….
आधुनिक इतिहास का इकलौता देश जो पहले टूटा और फिर एक हो गया
आपको बता दें, साल 1788 से 1791 के बीच में बना बर्लिन का ब्रांडेनबर्ग गेट शहर के सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय स्मारकों में से एक है. ये आधुनिक इतिहास का इकलौता ऐसा देश है जो पहले टूट और फिर एक हो गया. हम सभी जानते हैं कि शीत युद्ध के दौरान जर्मनी विचारधारओं के आधार पर दो हिस्सों में बंट गया था. लेकिन फिर साल 1990 में पूर्व और पश्चिम जर्मनी फिर से एक हो गए. ये गेट उसी विभाजन के बाद एकता का प्रतीक माना जाता है.
इमारत का डिज़ाइन जर्मनी के सबसे प्राचीन और नियोक्लासिकल स्ट्रक्चर का शानदार उदाहरण
बताते चलें कि इसकी इमारत का डिज़ाइन जर्मन के सबसे प्राचीन और नियोक्लासिकल स्ट्रक्चर के शानदार उदाहरणों में से एक है. इसे कार्ल गोत्थार्ड लंघनस (Carl Gotthard Langhans) ने डिज़ाइन किया था.
दरअसल, जब ब्रांडेनबर्ग गेट बनाया गया था तब यह बर्लिन शहर का मेन एंट्री पॉइंट हुआ करता था. हालांकि, उस वक्त शहर में आने वाले विजिटर्स इस व्यूइंग टावर के गेट पर चढ़ सकते थे और ऊपर से बर्लिन के खूबसूरत नजारों का मजा ले सकते हैं.
गेट पर बना है क्वॉड्रिगा स्टेचू
इस गेट के ऊपर एक स्टेचू भी लगा है. जिसे क्वॉड्रिगा स्टेचू कहा जाता है. इस स्टेचू को अगर ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि इसमें चार घोड़ों को खींचा दिखाया जा रहा है. उस रथ पर क्वाड्रिगा हैं जिन्हें जीत का प्रतीक माना जाता है. हालांकि, जब नेपोलियन ने साल 1806 में बर्लिन को जीत लिया था तब अपनी जीत के तोहफे के तौर पर क्वॉड्रिगा की मूर्ति को उतारकर पेरिस भेज दिया गया था. लेकिन फिर साल 1814 में क्वॉड्रिगा की मूर्ति को वापिस बर्लिन के गेट पर लगाया गया. जब इसे वापिस लगाया गया तब ये फ़्रांस पर जर्मनी के जीत के प्रतिक के रूप में लगाया गया था.
गेट है एकता का प्रतीक
1946 में, जर्मनी और बर्लिन के युद्ध के बाद के विभाजन के साथ, ब्रांडेनबर्ग गेट सोवियत सेक्टर में था. 1961 में बर्लिन की दीवार खड़ी की गई, तो लोगों को के लिए यहां जाना मुश्किल हो गया. लेकिन जब दीवार गिर गई, तो 22 दिसंबर 1989 को ब्रांडेनबर्ग गेट के आधिकारिक उद्घाटन के लिए 1,00,000 लोग यहां इकठ्ठा हुए. और एक बार फिर से अपने एक होने का जश्न मनाया. यही कारण है कि आज ये गेट बर्लिन के लोगों के लिए एकता का प्रतीक है.