ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स ने 'असिस्टेड सुसाइड' यानी अपनी मर्जी से आत्महत्या करने को संवैधानिकता देने वाले कानून का समर्थन किया है. यह समर्थन ऐतिहासिक है क्योंकि इसके बाद इंग्लैंड और वेल्स में असिस्टेड सुसाइड से जुड़ा कानून पारित होने के लिए रास्ता साफ हो गया है.
लगभग एक दशक बाद पहली बार इस मुद्दे पर ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में मतदान हुआ. इसके पक्ष में 330 सांसदों ने वोट दिया, जबकि 275 मत सांसद इसके खिलाफ रहे. यानी इस बिल को 55 की बहुमत मिली. इस बिल के अनुसार जो लोग आजीवन रहने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं वे मृत्यु चुन सकते हैं. जो अब तक ब्रिटेन में गैर-कानूनी था. ब्रिटेन में इसे लेकर क्या बहस है और आगामी कानून कैसा हो सकता है, आइए डालते हैं एक नजर.
क्या है ब्रिटेन में माहौल?
ब्रिटेन में कई मानवाधिकार समूह उन लोगों के लिए असिस्टेड सुसाइड का समर्थन करते हैं जो जीवन भर के लिए किसी बीमारी से ग्रसित हैं. जब संसद के निचले सदन में इस बिल को मंजूरी मिल गई तो कई समर्थकों ने एक-दूसरे से गले मिलकर नम आंखों के साथ बधाइयों का आदान-प्रदान किया.
बीबीसी की एक रिपोर्ट में 'डिग्निटी इन डाइंग' (Dignity in Dying) नाम के ग्रुप के हवाले से कहा गया कि यह फैसला मरने वाले लोगों को बेहतर विकल्प और सुरक्षा देगा. इस बीच, ब्रिटेन की प्रतिष्ठित जर्नलिस्ट और टीवी प्रेजेंटर डेम एस्तेर रैंटजेन ने भी इस फैसले के बाद अपनी खुशी जाहिर की है.
एस्तेर लंबे समय से असिस्टेड सुसाइड की समर्थक रही हैं. 84 साल की एस्तेर खुद भी लंग कैंसर से पीड़ित हैं, हालांकि उनका कहना है कि कानून में कोई भी बदलाव शायद उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करने के लिए बहुत देर से आएगा. लेकिन उन्होंने कहा कि अगर यह विधेयक कानून बन जाता है तो "भविष्य की पीढ़ियों को उन कष्टों से बचाया जा सकेगा जो हमें इस समय भुगतने पड़ रहे हैं."
दूसरी ओर, इस बिल और असिस्टेड सुसाइड को ब्रिटेन में विरोध का सामना भी करना पड़ा है. उनका मानना है कि कई बीमार लोग अपनों पर बोझ बनने के डर से अपनी जिन्दगी खत्म करना बेहतर समझेंगे. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि असिस्टेड सुसाइड को लागू करने के बजाय जीवन के अंतिम चरण में मरीजों की देखभाल को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
क्या होंगे नियम?
सदन में यह बिल पेश करने वाली लेबर पार्टी की सांसद किम लीडबीटर ने कहा कि उनके विधेयक में "दुनिया में सबसे मजबूत और सशक्त सुरक्षा उपाय" शामिल हैं. साथ ही इसके नियम इतने सख्त हैं कि विशेष परिस्थितियों में ही असिस्टेड सुसाइड को मंजूरी दी जाएगी. इस बिल के अनुसार, असिस्टेड सुसाइड के लिए किसी इंसान में अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में निर्णय लेने की मानसिक क्षमता होनी चाहिए.
साथ ही प्रक्रिया के हर चरण में बिना किसी दबाव के उस इंसान को "स्पष्ट, व्यवस्थित और सूचित" इच्छा व्यक्त करनी होगी. दो स्वतंत्र डॉक्टरों और एक हाई कोर्ट के न्यायाधीश की संतुष्टि के बाद ही कोई इंसान इसके लिए पात्र हो सकेगा. इन तीनों को जब तक स्पष्ट नहीं होगा कि वह इंसान अपनी मर्जी से मृत्यु चुन रहा है, तब तक इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा.
दूसरी ओर, लेबर पार्टी की डायने एबॉट उन लोगों में से हैं जिन्होंने तर्क दिया कि ये सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं थे. उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि न्यायाधीश की भूमिका सिर्फ एक "रबर स्टैम्प" वाली हो सकती है. साथ ही कुछ मरीज अपने परिवार पर बोझ बनने के विचार से अपनी जिन्दगी खत्म करने का फैसला ले सकते हैं.
इस बिल को अभी कानून बनने में समय लगेगा. बिल के प्रमुख विरोधी कंजर्वेटिव डैनी क्रूगर ने कहा कि अगर सांसदों की चिंताओं का उचित तरीके से समाधान नहीं किया गया तो बाद में यह बिल रद्द भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि उनके कई सहयोगियों का मानना है कि बिल "बहुत खतरनाक" है और उन्हें उम्मीद है कि अगर कानून में सुरक्षा उपायों को मजबूत नहीं किया गया तो वे भविष्य में इसके खिलाफ वोट करेंगे.